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Used Cars: नई कार की लंबी वेटिंग से 'इतराया' सेकेंड हैंड बाजार, नई रेट लिस्ट देखकर उड़ रहे ग्राहकों के होश

नई कार के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट के चलते कई ग्राहक सेकेंड हेंड कारों की ओर मुड़ रहे हैं। ऐसे में आपदा में अवसर ढूंढते हुए यह बाजार तेजी से गुलजार हो रहा है।

Sachin Chaturvedi Edited by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: March 30, 2022 18:14 IST
Used Cars- India TV Paisa
Photo:PTI

Used Cars

Highlights

  • दुनिया भर का कार बाजार सेमी कंडक्टर यानि चिप के गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है
  • चिप संकट के कारण कंपनियां डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं, ऐसे में वेटिंग लिस्ट बढ़ रही है
  • नई कार के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट के चलते कई ग्राहक सेकेंड हेंड कारों की ओर मुड़ रहे हैं

नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया भर का कार बाजार सेमी कंडक्टर यानि चिप के गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। वहीं कोरोना संकट के बाद से लोग पर्सनल व्हीकल को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। भारत में कारों की मांग तो बढ़ रही है लेकिन चिप संकट के कारण कंपनियां डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं, ऐसे में वेटिंग लिस्ट का पहाड़ बढ़ता ही जा रहा है। 

नई कार के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट के चलते कई ग्राहक सेकेंड हेंड कारों की ओर मुड़ रहे हैं। ऐसे में आपदा में अवसर ढूंढते हुए यह बाजार तेजी से गुलजार हो रहा है। मांग बढ़ते ही इस बाजार में भी तेजी का माहौल है। बाजार के जानकारों के अनुसार बीते एक साल में ही कीमतों में 10 से 15 फीसदी का उछाल आ चुका है। 

सप्लाई कम डिमांड ज्यादा 

सेकेंड हैंड कार डीलर दीपक पमनानी बताते हैं कि सेकेंड हैंड कारों की सप्लाई जस की तस है। कारोना के बाद से लोगों के जॉब को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है। ऐसे में लोग पुरानी कार बेचकर नई खरीदने से फिलहाल परहेज कर रहे हैं। लेकिन मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है।जिसके कारण कीमतें बढ़ रही हैं। 

15 प्रतिशत बढ़ी बिक्री 

मारुति सुजुकी की पुरानी कार बिजनस कंपनी ट्रू वैल्यू से लेकर महिंद्रा के फर्स्ट चॉइस और टोयोटा के यू ट्रस्ट जैसी डीलरशिप पर भी सेकेंड हैंड कारों की मांग में तेजी आई है। बिक्री करीब 15% बढ़ी है। मारुति के ट्रू वैल्यू की ही बात कर लें तो पिछले साल करीब 27,0,000 पुरानी कारों की बिक्री हुई थी। वहीं इस साल आंकड़ा 310,000 को पार करने की उम्मीद है। 

स्क्रैप पॉलिसी से भी घटी सप्लाई 

बीते कुछ वक्त में पुरानी कारों को बेचने वालों की संख्या में काफी गिरावट आई है। इसकी वजह यह है कि कई राज्यों में स्क्रैप पॉलिसी लागू हो गई है। अब ग्राहक लंबी अवधि के लिए अपनी कारों को रखना पसंद कर रहे हैं। पिछले 12 महीनों में औसत आठ साल से बढ़कर नौ साल हो गई है। वहीं इस्तेमाल की गई कारों की हमेशा कमी रहती है।

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