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GST काउंसिल की बैठक: राज्यों को क्षतिपूर्ति पर वित्त मंत्री ने दिए 2 विकल्प, विचार के लिए राज्यों को 7 दिन

वित्त मंत्री के मुताबिक राज्यों को इन विकल्पों पर विचार के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। पहले विकल्प में राज्यों को रिजर्व बैंक के साथ चर्चा के बाद खास दरों पर 97000 करोड़ रुपये के लिए एक स्पेशल विंडो दी जाएगी ।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : August 27, 2020 21:27 IST
gst council meet- India TV Paisa
Photo:PTI

gst council meet

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के कारण इस साल राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत मुआवजा प्रदान करने के अपने दायित्व को पूरा करने के लिए केंद्र के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। केंद्र ने क्षतिपूर्ति अंतर को संतुलित करने और व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की 41वीं बैठक हुई। इस बैठक में कई फैसले लिए गए हैं। बैठक में जीएसटी के मुआवजे पर मंथन हुआ और इसके बाद वित्त मंत्री ने राज्यों को दो विकल्प प्रदान किए हैं। राज्यों को केंद्र ने विकल्पों पर विचार के लिए सात दिनों का समय दिया है।


केंद्र का दिया गया पहला विकल्प, आरबीआई के परामर्श से राज्यों को एक विशेष उधारी मार्ग प्रदान करना है, जो उचित ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपये प्रदान करेगा। पैसा उपकर के संग्रह से पांच साल बाद चुकाया जा सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र पहले विकल्प के दूसरे चरण के रूप में एफआरबीएम अधिनियम के तहत राज्यों की उधार सीमा में 0.5 प्रतिशत की और छूट देगा। इससे राज्यों को अपनी क्षतिपूर्ति कमी को कवर करने के लिए बिना शर्त अधिक उधार लेने की अनुमति मिलेगी।


दूसरा विकल्प ये है कि इस साल पूरे जीएसटी मुआवजे के अंतर को आरबीआई से सलाह लेने के बाद उधार के जरिए पूरा किया जाए। यानी दोनों विकल्पों की बात करें तो पहले विकल्प के तौर पर केंद्र खुद उधार लेकर राज्यों को मुआवजा देने की बात कर रहा है और दूसरे विकल्प के तौर पर आरबीआई से सीधे उधार लेने की बात कही गई है।

वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015 में जीएसटी क्षतिपूर्ति अंतर 2.35 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। यह इसलिए है क्योंकि केंद्र को कोविड द्वारा प्रभावित आर्थिक गतिविधियों के कारण जीएसटी उपकर से केवल 65,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की उम्मीद है। सीतारमण ने बताया कि राज्य के वित्त सचिवों को एक नोट में सुझाव भेजने के लिए कहा गया है और इसके लिए उन्हें सात दिनों का समय दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए जिन विकल्पों पर चर्चा की गई है, वे केवल चालू वित्त वर्ष के लिए हैं। जीएसटी परिषद अगले साल अप्रैल में इस मुद्दे पर फिर से विचार करेगी।

वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि मौजूदा वर्ष में कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था की गति धीमी रही है, जिसके कारण जीएसटी संग्रह कम रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड द्वारा उत्पन्न हुई अभूतपूर्व स्थिति के कारण अप्रैल-मई और जून-जुलाई की दो द्विमासिक अवधि के लिए राज्यों की क्षतिपूर्ति उपकर की आवश्यकता 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गई है। केंद्र जीएसटी कानून के तहत हर दो महीने में जीएसटी संग्रह की कमी के कारण राजस्व नुकसान की भरपाई करता है, लेकिन पिछले साल की दूसरी छमाही के बाद से राज्यों को मुआवजे के भुगतान में देरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप राज्यों विशेषकर विपक्षी राज्य सरकारों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं।

जीएसटी पर वित्त सचिव ने कहा कि राजस्व को उपकर फंड से मिलने वाले मुआवजे के अंतर को संरक्षित करना होगा, जो कि उपकर लगाने से लिया जाएगा। वित्त सचिव ने कहा कि अटॉर्नी जनरल का विचार है कि राज्यों को मुआवजे का भुगतान पांच साल के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन इस क्षतिपूर्ति अंतर को उपकर की दर से पूरा करना होगा। भारत के समेकित कोष से क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि उपकर को जून 2022 से आगे जारी रखा जा सकता है, ताकि राज्यों का हिस्सा पूरी तरह से भुगतान किया जा सके।

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