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Aircel-Maxis Case : कार्ति चिदंबरम के खिलाफ 6 जुलाई को आरोप पत्र पर विचार करेगी अदालत, जांच रिपोर्ट में नहीं है पी चिदंबरम का नाम

दिल्ली की एक अदालत शुक्रवार यानी 6 जुलाई को पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में दायर आरोप पत्र पर विचार करेगी। यह आरोप पत्र प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया है। अदालत में इस मामले पर आज ही विचार किया जाना था लेकिन संबंधित न्यायधीश के अवकाश पर होने की वजह से इसे शुक्रवार के लिए तय किया गया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 04, 2018 19:40 IST
P Chidambaram and Karti Chidambaram- India TV Paisa

P Chidambaram and Karti Chidambaram

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत शुक्रवार यानी 6 जुलाई को पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में दायर आरोप पत्र पर विचार करेगी। यह आरोप पत्र प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया है। अदालत में इस मामले पर आज ही विचार किया जाना था लेकिन संबंधित न्यायधीश के अवकाश पर होने की वजह से इसे शुक्रवार के लिए तय किया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी अभियोजन शिकायत में आरोप लगाया है कि कार्ति के नियंत्रण वाली दो कंपनियों को इस मामले में कथित तौर पर 1.16 करोड़ रुपए की रिश्वत प्राप्त हुई।

आरोप पत्र में हालांकि पी चिदंबरम के नाम का उल्लेख है लेकिन जांच रिपोर्ट में कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता का नाम आरोपी के तौर पर शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, चिदंबरम से हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय ने क्रमश: आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में पूछताछ की है।

प्रवर्तन निदेशालय की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि एडवांटेज स्ट्रेटजिक कंसल्टेंसीज प्रा. लि. को 26 लाख रुपए और चेस मैनेजमेंट सर्विसेज प्रा. लि. को 90 लाख रुपए का भुगतान कथित तौर पर रिश्वत के रूप में किया गया था। यह भुगतान कथित रूप से क्रमश: एयरसेल लिमिटेड की मूल कंपनी एयरसेल टेलिवेंचर्स लि. और मैक्सिस और इसकी सहयोगी मलेशियन कंपनियों ने किया।

जांच एजेंसी मामले में अनुपूरक आरोप पत्र भी दाखिल कर सकती है, जिससे लगता है कि मामले में और लोगों को अभियुक्त के रूप में शामिल किया जा सकता है। प्रवर्तन निदेशालय ने यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा पंजीकृत प्राथमिकी के आधार पर 7 फरवरी 2012 को मनी लांड्रिंग रोधी कानून की धारा के तहत दर्ज किया था।

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