नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में राजस्व बढ़ने की स्थिति में 12 और 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब का आपस में विलय किया जा सकता है और इससे केवल टू-टियर टैक्स स्लैब बचेगा। फेसबुक पर लिखे अपने एक पोस्ट में कहा है कि देश में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू होने के दो साल बाद देश में 20 राज्यों के राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह जीएसटी की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
अपनी फेसबुक पोस्ट में जेटली ने कहा कि करदाताओं की संख्या पिछले दो सालों में 84 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी उपभोक्ता और करदाताओं दोनों के लिए अनुकूल साबित हुआ है।
अरुण जेटली ने कहा कि पूर्व-जीएसटी युग के उच्च कराधान ने उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ डाल रखा था और इस वजह से कर अनुपालन में यह एक विघटनकारी कारक बना हुआ था। उन्होंने कहा था कि पिछले दो सालों में, कर संग्रह में सुधार के साथ जीएसटी परिषद ने अपनी प्रत्येक बैठक में उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने के लिए कर की दर को घटाया है।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उत्पादों को 18, 12 और 5 प्रतिशत दायरे में रखा गया है। जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद भारत की पहली वैधानिक संघीय संस्था है, जो सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करती है।