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नितिन गडकरी ने कर्मचारियों को लताड़ा, कहा- जब काम नहीं तो फिर मोटी सैलरी किसलिए दें?

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कर्मचारियों के काम करने के रवैये पर रोष व्यक्त करते हुए उसे जमकर लताड़ लगाई है। दरअसल गड़करी अपने काम को लेकर जाने जाते है।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: March 11, 2021 18:10 IST
नितिन गडकरी ने कर्मचारियों को लताड़ा, कहा- जब काम नहीं तो फिर मोटी सैलरी किसलिए दें?- India TV Paisa
Photo:PTI

नितिन गडकरी ने कर्मचारियों को लताड़ा, कहा- जब काम नहीं तो फिर मोटी सैलरी किसलिए दें?

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कर्मचारियों के काम करने के रवैये पर रोष व्यक्त करते हुए उसे जमकर लताड़ लगाई है। दरअसल गड़करी अपने काम को लेकर जाने जाते है। उनकी लिडरशीप में सड़क एवं परिवहन विभाग द्वारा दिनरात काम किया जा रहा है। अब ऐसे में अगर उन्हें काम में जरा भी कमी दिखती है तो वह तुरंत उसपर एक्शन लेते है।  ऐसा ही तब देखने को मिला जब एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों के ढीलेढाले रवैये पर रोष खाकर नितिन गडकरी ने उन्हें जमकर लताड़ लगाई। गड़करी ने कहा कि आज के इस दौर में अधिकारियों का हाल ‘खाया पिया कुछ नहीं, ग्लास तोड़ा 12 आना’ वाला हो गया है. ऐसे 

काम के लिए सरकार अधिकारियों को मोटी सैलरी किसलिए दे?

इससे पहले भी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में काम की सुस्त रफ्तार से काफी नाराज हुए थे। गडकरी ने एनएचएआई में देरी की कार्य संस्कृति पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब समय आ गया है जबकि 'गैर-निष्पादित आस्तियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोग परियोजनाओं में देरी कर रहे हैं और अड़चनें पैदा कर रहे हैं। 

भवन को बनने में 9 साल लगे थे

मंत्री ने कहा था कि एनएचएआई अक्षम अधिकारियों का 'स्थल बना हुआ है, जो अड़चनें पैदा कर रहे हैं। ये अधिकारी प्रत्येक मामले को समिति के पास भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जबकि ऐसे अधिकारियों को 'निलंबित और बर्खास्त किया जाना चाहिए और कामकाज में सुधार लाया जाना चाहिए। गडकरी ने द्वारका में एनएचएआई के भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस भवन को बनने में नौ साल लगे हैं। उन्होंने कहा कि यहां ऐसे एनपीए हैं जो केंचुएं की तरह भी काम नहीं कर सकते हैं। यहां उन्हें रखा जाता है और पदोन्नत किया जाता है। 

अधिकारियों के रवैये पर मुझे शर्म आती है

मंत्री ने कहा था, ''इस तरह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले अधिकारियों के रवैये पर मुझे शर्म आती है। एनएचएआई के भवन के निर्माण में देरी पर नाराजगी जताते हुए गडकरी ने कहा, ''ये अधिकारी फैसले लेने में विलंब करते हैं और जटिलताएं पैदा करते हैं। ये मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम), महाप्रबंधक (जीएम) स्तर के अधिकारी हैं जो बरसों से यहां जमे हैं।  उन्होंने कहा कि इस इमारत के लिए निविदा 2011 में दी गई थी। इसे पूरा होने में नौ साल लगे। इस दौरान सात एनएचएआई चेयरमैन और दो सरकारें आईं-गईं। 

देरी के लिए जिम्मेदार सीजीएम और जीएम की तस्वीरें होनी चाहिए

गड़करी ने कहा था कि आठवें चेयरमैन एस एस संधू के कार्यकाल में यह भवन पूरा हुआ। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस तरह की देरी पर एक शोध पत्र तैयार होना चाहिए। इसमें देरी के लिए जिम्मेदार सीजीएम और जीएम की तस्वीरें होनी चाहिए। गडकरी ने कहा कि ऐसे लोगों का नाम और तस्वीरें सार्वजनिक करने के लिए समारोह होना चाहिए, जैसा कि मंत्रालय अच्छा काम करने वाले अधिकारियों के लिए करता है। 

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