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भारत के DPI का बजेगा दुनियाभर में डंका, इसी का है ग्लोबल फ्यूचर, अमिताभ कांत ने कह दी बड़ी बात

अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर ग्लोबल फ्यूचर है। यह साल 2047 तक भारत की ग्रोथ स्टोरी का एक बड़ा हिस्सा होगा।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Apr 18, 2024 16:53 IST, Updated : Apr 18, 2024 16:54 IST
डिजिटल पब्लिक...- India TV Paisa
Photo:REUTERS डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर

जी-20 ग्रुप में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक भविष्य बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों से नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर विकसित 'डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर' (DPI) प्लेटफॉर्म्स से संचालित होगा। कांत ने 'वी मेड इन इंडिया' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत लोकल लेवल पर विकसित डीपीआई को दुनिया के बाकी हिस्सों में ट्रांसफर करेगा और पहले से ही कई देश इसके लिए अपनी रजामंदी जता चुके हैं। डीपीआई में 'आधार' के जरिये डिजिटल पहचान, यूपीआई के जरिये रियल टाइम पेमेंट और अकाउंट एग्रीगेटर जैसी सेवाएं शामिल हैं।

जी-20 सम्मेलन में हुआ था प्रदर्शन

पिछले साल भारत की जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता के दौरान डीपीआई प्लेटफॉर्म्स का प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने किया गया था। कांत ने कहा कि जी-20 सम्मेलन के दौरान पूरी दुनिया ने डीपीआई के संदर्भ में दी गई परिभाषा और रूपरेखा को स्वीकार किया था। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भारत ने अपनी रणनीतियों के माध्यम से काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा, "हमारी मान्यता है कि भविष्य बड़ी टेक्नोलॉजीज से संचालित नहीं होगा, यह डीपीआई द्वारा संचालित होगा।"

दुनियाभर में जाएगा भारत का DPI

बड़ी टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों के तौर पर अमूमन एपल, गूगल, अमेजन और मेटा जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों को शुमार किया जाता है। कांत ने कहा कि भारत का डीपीआई दुनियाभर में स्थानांतरित होगा और इससे देश के उद्यमियों के लिए बहुत सारे अवसर पैदा होंगे जिनका लाभ उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "डीपीआई बाकी दुनिया का पर्याय बन जाएगा।" इसके साथ ही नीति आयोग के पूर्व सीईओ कांत ने कहा कि डीपीआई वर्ष 2047 तक की अवधि में भारत की ग्रोथ स्टोरी का एक बड़ा हिस्सा होगा।

देश के स्टार्टअप मूवमेंट में करें निवेश

उन्होंने बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स से देश के 'स्टार्टअप आंदोलन' में निवेश करने का अनुरोध करते हुए कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के गढ़ सिलिकॉन वैली का निर्माण धैर्यवान निवेशकों द्वारा लगाए गए दांव पर ही हुआ है। कांत ने कहा कि फिलहाल घरेलू स्टार्टअप कंपनियों को तीन-चौथाई से अधिक फंडिंग अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से मिल रही है और सिर्फ एक-चौथाई फंडिंग ही घरेलू सोर्सेज से मिलती है।

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