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विलफुल डिफॉल्टर्स पर नरम पड़ा RBI तो शुरू हो गया विरोध, बैंक कर्मचारी संगठनों ने तजाई असहमति

बैंक कर्मचारी संगठनों ने कहा कि रिजर्व बैंक की हालिया समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने की रूपरेखा पीछे की ओर ले जाने वाला एक कदम है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Jun 14, 2023 8:37 IST, Updated : Jun 14, 2023 8:37 IST
RBI- India TV Paisa
Photo:PTI RBI

रिजर्व बैंक (RBI) ने इसी हफ्ते जारी एक नोटिफिकेशन में विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) को राहत देते हुए बैंकों के साथ निपटारे के लिए समझौते की अनुमति दी है। लेकिन अब खुद बैंक कर्मचारियों के संगठनों की ओर से RBI के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। बैंक अधिकारी एवं कर्मचारी संगठनों ने दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली के लिए बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों और इरादतन या जानबूझकर चूक के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने की मंजूरी देने का विरोध किया है। रिजर्व बैंक के निर्देशों के तहत निपटान होने के 12 महीनों के बाद ये विल​फुल डिफॉल्टर्स बैंकों से दोबारा कर्ज प्राप्त करने के योग्य भी हो जाएंगे। 

ईमानदार कर्जदाता होंगे हतोत्साहित 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को एक अधिसूचना में धोखाधड़ी वाले खातों और कर्ज अदायगी में इरादतन चूक के मामलों में समझौता करने की मंजूरी देते हुए कहा था कि इसके लिए निदेशक-मंडल के स्तर पर नीतियां बनानी होंगी। बैंक कर्मचारी और अधिकारी संगठनों ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि रिजर्व बैंक की हालिया समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने की रूपरेखा पीछे की ओर ले जाने वाला एक कदम है। इससे बैंकिंग प्रणाली की सत्यनिष्ठा प्रभावित होगी और साथ ही जानबूझकर चूक करने वालों से निपटने के प्रयासों को भी झटका लगेगा। 

इन मुद्दों पर हो रहा है विरोध 

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बयान में कहा, ‘‘बैंकिंग उद्योग के महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में हमने हमेशा इरादतन चूककर्ताओं से सख्ती से निपटने की वकालत की है।’’ बयान के मुताबिक, रिजर्व बैंक की नई व्यवस्था से न केवल इरादतन चूककर्ता को एक तरह से इनाम दिया जा रहा है बल्कि ईमानदार कर्जदारों के बीच गलत संदेश भी जा रहा है। 

रिजर्व बैंक ने दी थी सशर्त छूट 

उल्लेखनीय है कि इस नियम के तहत कुछ जरूरी शर्तें भी निर्धारित की गई हैं। इन शर्तों में कर्ज की न्यूनतम समयसीमा, जमानत पर रखी गई संपत्ति के मूल्य में आई गिरावट जैसे पहलू भी शामिल होंगे। बैंकों का निदेशक-मंडल इस तरह के कर्जों में अपने कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए भी एक प्रारूप तय करेगा। अधिसूचना के मुताबिक, रिजर्व बैंक से विनियमित वित्तीय इकाइयां इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में ऐसे देनदारों के खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर समझौता समाधान या तकनीकी बट्टे-खाते में डाल सकती हैं।

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