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CEA नागेश्वरन ने कहा- FY24 में देश की GDP ग्रोथ रेट 8% तक पहुंचने की उम्मीद, जानिए क्या है RBI का अनुमान

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7.1 फीसदी कर दिया था।

Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: May 08, 2024 13:49 IST
जीडीपी ग्रोथ रेट- India TV Paisa
Photo:FILE जीडीपी ग्रोथ रेट

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों में दर्ज की गई मजबूत ग्रोथ के आधार पर वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ रेट 8 फीसदी तक पहुंचने की काफी संभावना है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद दिसंबर 2023 को समाप्त तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत बढ़ा था। दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.6 प्रतिशत रही। जबकि पहली तिमाही में यह 7.8 फीसदी थी। उन्होंने एनसीएईआर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। यदि आप पहली तीन तिमाहियों में ग्रोथ की गति को देखें, तो स्पष्ट रूप से ग्रोथ रेट 8 फीसदी तक पहुंचने की संभावना काफी अधिक है।’’

आरबीआई के अनुमान से अधिक 

यह 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 7.5 फीसदी ग्रोथ के अनुमान से अधिक है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान 6.8 प्रतिशत है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7 फीसदी जीडीपी ग्रोथ की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024-25 से आगे की ग्रोथ के बारे में उन्होंने कहा कि भारत की ग्रोथ रेट 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है, क्योंकि पिछले दशक की तुलना में इस दशक में मुख्य अंतर वित्तीय तथा कॉरपोरेट क्षेत्र में गैर-वित्तीय क्षेत्र की बैलेंस शीट की मजबूती से है।

इंडिया रेटिंग्स ने जताया यह अनुमान

हाल ही में घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7.1 फीसदी कर दिया था। यह अनुमान रिजर्व बैंक के सात फीसदी के अनुमान से थोड़ा अधिक है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय बने रहने, कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र के बही-खाते में कर्ज की कमी और आरंभिक निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय से मिले मजबूत समर्थन ने उसे वृद्धि अनुमान में संशोधन करने के लिए मजबूर किया है।

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