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देश में GDP ग्रोथ रेट बढ़ने के बन रहे हालात, 2055 तक मिलेंगे जनसंख्या से जुड़े फायदे, जानें RBI बुलेटिन की बड़ी बातें

आरबीआई ने फरवरी, 2023 से ही रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। हालांकि, आरबीआई ने अप्रैल बुलेटिन में कहा कि निकट अवधि में प्रतिकूल मौसमी घटनाओं के साथ लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव के कारण महंगाई का जोखिम पैदा हो सकता है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Apr 23, 2024 22:28 IST, Updated : Apr 24, 2024 6:29 IST
आरबीआई अप्रैल बुलेटिन- India TV Paisa
Photo:FILE आरबीआई अप्रैल बुलेटिन

देश में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट तेज होने की स्थितियां बन रही हैं, लेकिन लंबे समय तक वैश्विक स्तर पर तनाव के साथ प्रतिकूल मौसम की घटनाएं होने से महंगाई का जोखिम पैदा हो सकता है। आरबीआई के अप्रैल बुलेटिन में यह बात कही गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई मार्च में घटकर 4.9 प्रतिशत हो गई। इससे पहले पिछले दो महीनों में यह औसतन 5.1 प्रतिशत रही थी। रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति का निर्धारण करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है।

फरवरी से स्टेबल है रेपो रेट

केंद्रीय बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर चिंताओं का हवाला देते हुए फरवरी, 2023 से ही रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है। रिजर्व बैंक के बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक वाला लेख कहता है कि वर्ष 2024 के वसंत में गर्मी बनी हुई है। दरअसल, इसका इशारा मार्च, 2024 के पिछले 170 साल का सबसे गर्म मार्च महीना होने की तरफ है। डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने इस लेख में कहा है कि गर्मियों के दौरान सावधानी से नजर रखनी होगी। मानसून के दस्तक देने से पहले खाद्य पदार्थों की कीमतों में अधिक गर्मी के कारण झटके लगने का अंदेशा है।

पैदा हो सकता है महंगाई का जोखिम

लेख के मुताबिक, "हालांकि निकट अवधि में प्रतिकूल मौसमी घटनाओं के साथ लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव के कारण महंगाई का जोखिम पैदा हो सकता है।" आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक, आर्थिक संकट के रुझान में बदलाव के विस्तार के लिए स्थितियां बन रही हैं, जिसने 2021-24 के दौरान औसत वास्तविक जीडीपी ग्रोथ को आठ फीसदी से ऊपर पहुंचाया है। लेख कहता है, "अगले तीन दशकों में अपनी विकासपरक आकांक्षाओं को हासिल करने के लिए, भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दशक में अपने जनसंख्या संबंधी लाभों का फायदा उठाने के लिए 8-10 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ना होगा।

2055 तक मिलते रहेंगे जनसंख्या से जुड़े फायदे

भारत को जनसंख्या संबंधी लाभ वर्ष 2055 तक मिलता रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक वृद्धि की गति बरकरार रही है और विश्व व्यापार का परिदृश्य सकारात्मक हो रहा है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बॉन्ड यील्ड और कर्ज की ब्याज दर बढ़ रही है। ब्याज दर में कमी को लेकर जो संभावनाएं थीं, वे कमजोर पड़ी हैं। आरबीआई ने साफ किया है कि बुलेटिन में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह उसके आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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