Highlights
- श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कर्ज के पुनर्गठन को लेकर बातचीत शुरू की
- भारत के अलावा IMF और चीन के साथ भी बातचीत शुरू कर चुका है
- धन का इस्तेमाल दवा और उर्वरक आयात के लिए किया जा रहा है
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के लिए 2022 का साल किसी बुरे सपने जैसा रहा है। देश की आर्थिक हालत जर्जर है। विदेशों से लिए कर्ज को लेकर यह डिफॉल्ट कर चुका है, इतना ही नहीं देश में खाने पीने के सामान से लेकर पेट्रोल डीजल तक हर चीज की किल्लत है। ऐसे में एक भरोसेमंद साथी की तरह भारत ने श्रीलंका को आर्थिक सहायता और कर्ज दिया है। अब श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कर्ज के पुनर्गठन को लेकर बातचीत शुरू की है। भारत के अलावा श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और चीन के साथ भी ऋण पुनर्गठन को लेकर बातचीत शुरू कर चुका है।
विक्रमसिंघे ने भरोसा जताया कि यदि वार्ता आगे बढ़ती है तो श्रीलंका ''व्यवस्थित ढंग से'' आगे बढ़ेगा और अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से उबरने में सफल रहेगा। विक्रमसिंघे ने सियाम्बलैंडुवा जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ऋण पुनर्गठन पर निजी लेनदारों के साथ भी बातचीत शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ''कल पहली बार हमने अपने कर्ज का बोझ कम करने के लिए आईएमएफ, चीन, जापान और भारत के साथ बातचीत शुरू की।''
उन्होंने आगे कहा, ''हमारे लिए कर्ज चुकाना मुश्किल होगा, फिर भी हमें अपने कर्ज को कम करने के तरीके खोजने होंगे। हम ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जहां हम ब्याज चुकाने में भी असमर्थ हैं। लेकिन, मुझे उम्मीद है कि अगर हमारी बातचीत व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ी, तो हम अपनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होंगे।''
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने चीन के वित्त मंत्री से बात की है, जबकि श्रीलंका के वित्त मंत्री शेहन सेमासिंघे ने शनिवार को वाशिंगटन में ऋण पुनर्गठन पर भारत के साथ बातचीत शुरू की। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, अमेरिका और यूरोपीय संघ से मिले धन का इस्तेमाल दवा और उर्वरक आयात के लिए किया जा रहा है।