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महंगाई थामने के लिए केंद्र का सख्त फैसला, जानिए क्यों अटक गईं कर्नाटक से लेकर बंगाल की सरकारों की सांसें

राज्यों की मुफ्त अनाज की योजनाओं पर ब्रेक लग सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने ओएमएसएस स्कीम पर रोक लगा दी है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: June 16, 2023 8:54 IST
महंगाई थामने के लिए केंद्र का सख्त फैसला- India TV Paisa
Photo:FILE महंगाई थामने के लिए केंद्र का सख्त फैसला

एलनीनो (Elnino) के असर के चलते आगामी खरीफ सीजन में कमजोर मानसून (Monsoon) की आशंका को देखते हुए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। धान से लेकर अन्य फसलों का उत्पादन घटने के डर से सरकार अपने अनाज भंडारों को सुरक्षित करने की कवायद कर रही है। सूखे जैसी स्थिति को देखते हुए सरकार ने राज्यों को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से खाद्यान्न खरीदने से रोक दिया है। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह निर्णय किसी विशेष राज्य के खिलाफ न होकर अनाजों की मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। 

केंद्र के फैसले से इन राज्यों को होगा नुकसान 

केंद्र के इस फैसले पर विवाद भी शुरू हो गया है। इसका सबसे बड़ा नुकसान कर्नाटक को होने की आशंका है, जहां कांग्रेस की नई नवेली सरकार बनी है। इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित कांग्रेस शासित कर्नाटक ने केंद्र सरकार पर अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने और जानबूझकर राज्य की राशन योजना को लागू करने से रोकने का आरोप लगाया है। कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना भी इस फैसले से प्रभावित होंगे। 

क्या है OMSS स्कीम 

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने बुधवार को खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्यों और कानून और व्यवस्था की स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वालों को छोड़कर बाकी सभी राज्य सरकारों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी थी। खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया था। यह जानबूझकर नहीं किया गया था। यह आदेश 13 जून को लंबे अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद आया था। इसलिए, यह किसी विशेष राज्य के लिए अचानक निर्णय नहीं था, यह पूरे देश के लिए था।" 

गेहूं चावल के सुरक्षित भंडार चाहती है सरकार 

ऐसा मुख्य रूप से लोगों के व्यापक हित में गेहूं और चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया था। उन्होंने कहा कि हाल ही में मंडियों में चावल और गेहूं की कीमतों में तेजी देखी गई है। यह पूछे जाने पर कि ओएमएसएस के तहत अनाज की बिक्री बंद करने के बारे में राज्यों से सलाह क्यों नहीं ली गई, कुमार ने कहा, ‘‘राज्य अगर किसी योजना की घोषणा करते हैं, तो वे हमसे भी सलाह नहीं लेते हैं। कोई भी राज्य परामर्श नहीं करता है और पूछता है कि आप इस योजना के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति करेंगे या नहीं। राज्य अपने हिसाब से घोषणा करते हैं, और भारत सरकार अपने पास मौजूद स्टॉक के आधार पर घोषणा करती है। अगर हमारे पास स्टॉक नहीं है तो हम योजना की घोषणा नहीं करते हैं।’’ 

लगातार बढ़ रही हैं अनाज की कीमतें 

एफसीआई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा कि चावल और गेहूं की कीमतें जून से बढ़ने लगी हैं। अगले 9-10 महीनों तक कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करते रहना होगा क्योंकि गेहूं की अगली फसल अप्रैल 2024 में ही आएगी। उन्होंने कहा कि आम तौर पर ओएमएसएस को एक-दो महीने के लिए चालू किया जाता था, लेकिन इस साल इसे लंबी अवधि के लिए लागू किया जाएगा और इसलिए एफसीआई को स्टॉक संरक्षित करना होगा। 

राज्य क्यों कर रहे हैं विरोध 

केंद्र के अलावा राज्य की सरकारें भी अपने प्रदेश के लोगों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने की कल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं। कई राज्यों में तो यह प्रमुख चुनावी मुद्दा होता है। इस मुफ्त या रियायती अनाज की योजना के लिए राज्य की सरकारें ओएमएसएस योजना के तहत अनाज खरीदते हैं। यह बाजार से रियायती कीमतों पर होता है। लेकिन इस योजना के बंद होने के बाद सरकारों को खुले बाजारों से अनाज खरीदना पड़ेगा, पहले से खस्ताहाल खजाने पर और भी बुरा असर डालेगी।

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