Wednesday, May 08, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. दोहरा झटका: मॉर्गन स्टेनली ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान घटाया, महंगाई का बढ़ाया

दोहरा झटका: मॉर्गन स्टेनली ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान घटाया, महंगाई का बढ़ाया

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा अनुमान है कि चक्रीय पुनरुद्धार का चक्र जारी रहेगा, लेकिन यह हमारे पिछले अनुमान से नरम रहेगा।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: March 13, 2022 17:58 IST
morgan stanley- India TV Paisa
Photo:FILE

morgan stanley

Highlights

  • भारत के वृद्धि दर के अनुमान को आधा प्रतिशत घटाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया
  • मॉर्गन स्टेनली ने खुदरा महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर छह प्रतिशत कर दिया
  • मॉर्गन स्टेनली ने कहा, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से घटाया अनुमान

नई दिल्ली। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को आधा प्रतिशत घटाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही मॉर्गन स्टेनली ने खुदरा महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर छह प्रतिशत कर दिया है। उसका अनुमान है कि देश का चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। 

भू-राजनीतिक तनाव की वजह से बढ़ा संकट 

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा अनुमान है कि चक्रीय पुनरुद्धार का चक्र जारी रहेगा, लेकिन यह हमारे पिछले अनुमान से नरम रहेगा। मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव की वजह से बाहरी जोखिम बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था गतिहीन मुद्रास्फीति की ओर बढ़ेगी। गतिहीन मुद्रास्फीति में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटती है, लेकिन इसके साथ ही महंगाई बढ़ती है। रिपोर्ट में कहा गया है, भारत तीन चीजों कच्चे तेल और अन्य जिंसों के ऊंचे दाम, व्यापार और अन्य सख्त वित्तीय परिस्थितियों आदि से प्रभावित हो रहा है जिससे कारोबार और निवेश की धारणा प्रभावित हो रही है।

कच्चे तेल में उछाल से विकास दर प्रभावित 

मॉर्गन स्टेनली ने कहा, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से हम 2022-23 के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को आधा प्रतिशत घटाकर 7.9 प्रतिशत कर रहे हैं। इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर छह प्रतिशत कर रहे हैं। चालू खाते का घाटा बढ़कर जीडीपी के तीन प्रतिशत पर पहुंच सकता है, जो इसका 10 साल का ऊंचा स्तर होगा। 

आयात पर निर्भर है भारत 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी कच्चे तेल की 85 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम एक समय 140 डॉलर प्रति बैरल के 14 साल के उच्चस्तर पहुंचने के बाद कुछ नीचे आए हैं। भारत को कच्चे तेल के लिए अधिक भुगतान करना होगा। इससे मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ेगा। 

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement