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अडाणी समूह के खिलाफ सेबी ने SC में ऐसा क्या कहा कि मच गया हंगामा, सरकार ने दी ये सफाई

सेबी ने न्यायालय में ताजा हलफनामा दायर किया है। इसमें अडाणी समूह के शेयर की कीमत में हेरफेर करने के आरोपों की जांच पूरी करने को लेकर छह महीने का समय देने के लिये अपना पक्ष रखा है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : May 15, 2023 23:04 IST, Updated : May 15, 2023 23:04 IST
adani- India TV Paisa
Photo:FILE adani group

अडानी समूह पर हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद भारतीय एजेंसियों की जांच आगे बढ़ने के साथ हंगामा भी बढ़ गया है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वह जुलाई 2021 में संसद में सवालों के लिखित जवाब में कही गयी बातों पर कायम है। इसमें कहा गया था कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) अडाणी समूह की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहा है। सेबी के उच्चतम न्यायालय में जमा ताजा हलफनामे के अनुसार यह कहना कि वह अडाणी समूह के खिलाफ 2016 से जांच कर रहा है, ‘तथ्यात्मक रूप से आधारहीन’ है। इसके बाद उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने बयान जारी किया है। 

सेबी ने न्यायालय में ताजा हलफनामा दायर किया है। इसमें अडाणी समूह के शेयर की कीमत में हेरफेर करने के आरोपों की जांच पूरी करने को लेकर छह महीने का समय देने के लिये अपना पक्ष रखा है। इसपर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने वित्त मंत्रालय के जुलाई, 2021 में संसद में लिखित में दिये गये जवाब का जिक्र करते हुए पूछा है कि आखिर कौन गुमराह कर रहा है। 

वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘सरकार 19 जुलाई, 2021 को लोकसभा में अपने लिखित जवाब पर कायम है। यह सभी संबद्ध एजेंसियों से मिली जानकारी और जांच-पड़ताल पर आधारित है।’’ मंत्रालय ने कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश के बयान के बाद यह बात कही है। रमेश ने वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के 19 जुलाई, 2021 के लिखित जवाब का ‘स्क्रीनशॉट’ पोस्ट कर पूछा कि आखिर कौन गुमराह कर रहा है। मंत्री ने अपने जवाब में कहा था, ‘‘सेबी नियमों के अनुपालन के संदर्भ में अडाणी समूह की कुछ कंपनियों की जांच कर रहा है। इसके अलावा, राजस्व आसूचना निदेशालय भी अडाणी समूह की कंपनियों की जांच कर रहा है।’’ उन्होंने यह भी कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय कोई जांच नहीं कर रहा है। सेबी ने 16 जनवरी, 2016 के आदेश के तहत डिपॉजिटरी को अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड्स, क्रेस्टा फंड्स लिमिटेड और एपीएमएस इनवेस्टमेंट लि.

सहित कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के विशेष लाभार्थी खातों को जब्त करने का निर्देश दिया था। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने इस साल जनवरी में अडाणी समूह पर आरोप लगाया था कि साइप्रस और मॉरीशस स्थित इनमें से कुछ कोष अडानी से जुड़े थे, जिनका इस्तेमाल समूह की कंपनियों शेयरों के भाव में गड़बड़ी करने में किया गया। हालांकि, अडाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है। न्यायालय ने आरोपों की जांच के आग्रह वाली याचिकाओं पर सेबी को दो महीने में अडाणी समूह के खिलाफ अपनी जांच पूरी करने के लिये कहा था। यह समयसीमा इस महीने की शुरुआत में समाप्त हो गई और नियामक ने जांच पूरी करने के लिये और छह महीने का समय देने का आग्रह किया।

याचिकाकर्ताओं ने हालांकि इसका विरोध किया। उनका कहना था कि सेबी 2016 से अडाणी समूह की जांच कर रहा है और उसे छह महीने का अतिरिक्त समय नहीं दिया जाना चाहिए। सेबी ने सोमवार को जवाबी हलफनामे में कहा कि 2016 से जांच की बात कहना तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। हालांकि, नियामक ने यह नहीं बताया कि वह अडाणी समूह की कब से जांच कर रहा है। रमेश ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई, 2021 को लोकसभा को बताया था कि सेबी अडाणी समूह के मामले की जांच कर रहा है।

अब सेबी ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह अडाणी समूह के खिलाफ लगे किसी गंभीर आरोप की जांच नहीं कर रहा है।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या ज्यादा खराब बात है, संसद को गुमराह करना या फिर उस वक्त सोए रहना जब लाखों निवेशकों के साथ ठगी की गई? क्या ऊपर से कोई रोक रहा था?’’ 

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