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Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में से कहां निवेश देगा मोटा रिटर्न, यहां जानिए सभी सवालों के जवाब

अगर आप Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में से किसी एक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है। अगर आप असमंजस की स्थिति में हैं कि किसमें पैसा लगाने से मोटा मुनाफा होगा तो आप इसमें हमारे द्वारा बताए गए पांच बातों पर नजर डाल सकते हैं।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : Nov 21, 2022 16:09 IST, Updated : Nov 21, 2022 16:09 IST
Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में से कौन बेहतर?- India TV Paisa
Photo:INDIA TV Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में से कौन बेहतर?

FD Vs Debt Mutual Funds: अच्छा निवेश हमेशा बूरे समय में काम आता है। हर व्यक्ति एक बेहतर निवेश की तलाश में रहता है। भले ही उसकी इनकम बहुत अधिक ना हो। क्योंकि वह इस बात पर भरोसा करता है कि अगर आज उसकी नौकरी चली जाती है या किसी कारणवश वो काम करने लायक नहीं बच जाता है तो आज के समय में किया गया निवेश उस वक्त उसके लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा। लेकिन इसमें भी कई विकल्प होते हैं। कुछ लोग Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में अपना पैसा इंवेस्ट करना चाहते हैं। आइए समझते हैं कि कौन एक बेहतर विकल्प आपके लिए साबित हो सकता है। 

ये बातें होती है जरूरी

फिक्स्ड डिपॉजिट और डेब्ट म्युचुअल फंड उन निवेशकों के लिए सबसे लोकप्रिय संपत्ति है, जो जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। बढ़ती ब्याज दरों के बावजूद फिक्स्ड डिपॉजिट भारतीय खुदरा निवेशकों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प साबित हुआ है, जबकि डेब्ट म्युचुअल फंड उनके लिए है जो डेब्ट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। डेब्ट फंड्स ने आम तौर पर एफडी की तुलना में बेहतर-वार्षिक रिटर्न देने का काम किया है। हालांकि डीआईसीजीसी कवरेज के कारण बैंक एफडी में जोखिम कम होता है। डेब्ट म्युचुअल फंड से जुड़े जोखिमों में क्रेडिट जोखिम, ब्याज दर जोखिम, महंगाई के चलते होने वाली जोखिम और वापस से निवेश नहीं करने पाने वाले जोखिम शामिल हैं, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़े जोखिमों में लिक्विडिटी जोखिम, डिफॉल्ट जोखिम और महंगाई जोखिम शामिल है। 

बैंक एफडी और डेब्ट म्यूचुअल फंड के बीच मुख्य अंतर

  1. Debt Mutual Funds में सिक्योरिटीज रोज के मार्केट के अधीन हैं, जबकि एफडी बिना अस्थिरता के रिटर्न प्रदान करते हैं।
  2. ज्यादातर डेब्ट फंड ओपन-एंडेड होते हैं यानि निकासी पर कोई जुर्माना नहीं लगाते, वहीं एफडी के मामले में जमा की अवधि के दौरान जल्दी निकासी पर जुर्माना लगता है।
  3. यदि ब्याज दरें कम होती है, तो लिक्विड फंड पोर्टफोलियो यील्ड से अधिक रिटर्न दे सकते हैं। वहीं FD में इसके ठीक उल्टा रिटर्न मिलता है यानि एफडी दर अपने कार्यकाल के दौरान समान रहती है।
  4. Debt Mutual Funds में यदि कोई निवेशक 3 वर्ष या उससे अधिक के लिए निवेशित रहता है, तो लागू टैक्स रेट के हिसाब से इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% है, जबकि बैंक एफडी में एक निवेशक को मार्जिन रेट पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है जो कि 30-40% जितना अधिक हो सकता है
  5. बैंक एफडी असुरक्षित हैं, जबकि डेब्ट फंड्स को उनके द्वारा धारित प्रतिभूतियों द्वारा सुरक्षित किया जाता है। एफडी के मुकाबले डेब्ट फंड को प्राथमिकता दी जा सकती है, क्योंकि डेब्ट फंड सुरक्षित होते हैं, बेहतर लिक्विडिटी देते हैं, पोर्टफोलियो यील्ड की तुलना में संभावित रूप से अधिक रिटर्न देते हैं।

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