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मुफ्त राशन की योजना 31 दिसंबर से बढ़ सकती है आगे, कोविड को देखते हुए केंद्रीय मंत्री ने दी यह अहम जानकारी

पीएमजीकेएवाई की शुरुआत अप्रैल, 2020 में की गई थी। इस योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 22, 2022 18:12 IST, Updated : Dec 22, 2022 18:12 IST
मुफ्त राशन- India TV Paisa
Photo:INDIA TV मुफ्त राशन

मुफ्त राशन की योजना 31 दिसंबर से आगे बढ़ सकती है। दरअसल कोविड की दस्तक को देखते हुए इस योजना को आगे बढ़ाने पर सरकार विचार कर सकती है। सरकार के पास पर्याप्त खाद्यान्न भंडार होने की बात पर जोर देते हुए केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। यदि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का आगे विस्तार किया जाना है, तो यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा लिया जाएगा। शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक होने वाली है। सितंबर में सरकार ने पीएमजीकेएवाई की समयसीमा को तीन महीने के यानी 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया था। कृषि राज्यमंत्री करंदलाजे ने संवाददाताओं से कहा, ''कोविड-19 के मामले आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर के बाद भी गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराने वाली पीएमजीकेएवाई योजना का विस्तार करने पर विचार करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेंगे फैसला 

यह योजना दिसंबर तक के लिए है। इसे आगे बढ़ाने के बारे में फैसला प्रधानमंत्री लेंगे।'' उन्होंने कहा कि पिछले 28 माह में सरकार ने पीएमजीकेएवाई योजना के तहत गरीबों को मुफ्त राशन वितरण पर 1.80 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त खाद्यान्न भंडार है। मंत्री ने आगे कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और पीएमजीकेएवाई जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्न की खरीद को सुचारू रूप से चल रही है। यह धारणा सही नहीं है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में फसल पर सूखे और जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभाव के कारण ‘‘चावल और गेहूं के उत्पादन में गिरावट आने के आसार है। पिछले सप्ताह खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि एक जनवरी, 2023 तक लगभग 159 लाख टन गेहूं और 104 लाख टन चावल उपलब्ध होगा, जबकि एक जनवरी को बफर मानदंड के हिसाब से 138 लाख टन गेहूं और 76 लाख टन चावल के स्टॉक की जरूरत है। 

देश में आनाज की कोई कमी नहीं 

उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में करीब 180 लाख टन गेहूं और 111 लाख टन चावल उपलब्ध था। पीएमजीकेएवाई की शुरुआत अप्रैल, 2020 में उन गरीबों की मदद के लिए की गई थी, जिनकी आजीविका का साधन कोरोवायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ था। इस योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है। करंदलाजे ने पीडीएस को आधुनिक तकनीक के साथ उन्नत बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया ताकि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे किसानों से खरीदे गए अनाज के समर्थन मूल्य का भुगतान करने के साथ ही पीडीएस खाद्यान्न की बर्बादी और गड़बड़ियों को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के पहले अब नए सिरे से मोटे अनाज के उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। 

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