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सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने से पहले हो चुकी थी जीएम सरसों की बुवाई, अब हुआ यह खुलासा

जीएम सरसों की बुवाई के पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने के फैसले ने वैज्ञानिकों, किसानों और कार्यकर्ताओं के बीच काफी नाराजगी है। जीएम विरोधी गुट ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 14, 2022 14:56 IST
जीएम सरस- India TV Paisa
Photo:FILE जीएम सरस

जीएम सरसों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान केंद्र डीआरएमआर ने SC में जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर किये जाने से कुछ दिन पहले ही पैदावार के मूल्यांकन के मकसद से छह प्लॉटों में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के संकर डीएमएच-11 की बुवाई कर दी थी। गौरतलब है कि जीईएसी ने डीएमएच-11 को ‘पर्यावरण परीक्षण के लिए जारी’ करने की अनुमति दी थी जिसे अदालत में चुनौती दी गई है। 

वैज्ञानिकों, किसानों और कार्यकर्ताओं के बीच काफी नाराजगी

जीएम सरसों की बुवाई के पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने के फैसले ने वैज्ञानिकों, किसानों और कार्यकर्ताओं के बीच काफी नाराजगी है। जीएम विरोधी गुट ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। रैपसीड-सरसों अनुसंधान निदेशालय (डीआरएमआर) के निदेशक पी के राय ने कहा, ‘‘हमें 22 अक्टूबर को बीज मिले और तीन नवंबर को शीर्ष अदालत में एक मामला सूचीबद्ध किया गया। इस अवधि के बीच उपज के मूल्यांकन के लिए इन बीजों को पहले ही बोया जा चुका था। उन्होंने कहा कि तीन नवंबर को मामले की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बाद से अन्य दो स्थानों पर इसकी बुवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि खेत परीक्षण के अलावा दो प्रदर्शन भूखंडों में 600 ग्राम बीज पहले ही बोए जा चुके हैं। 

उपज प्रदर्शन के लिए अभी परीक्षण नहीं किया गया 

यह पूछे जाने पर कि क्या दावा सही है कि डीएचएम-11 पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25-30 प्रतिशत बेहतर पैदावार देता है, राय ने कहा, ‘‘डीएमएच-11 का भारत में उपज प्रदर्शन के लिए कभी परीक्षण नहीं किया गया है। खेत परीक्षण पूरा किए बिना यह कहना मुश्किल है कि यह जीएम हाइब्रिड किस्म मौजूदा किस्मों से बेहतर है।’’ उपज का मूल्यांकन तीन मौसमों के दौरान तीन स्तरों पर किया जाता है। पहला स्तर 'इंस्टेंट हाइब्रिड ट्रायल' (आईएचटी) है, जबकि दूसरा और तीसरा एडवांस हाइब्रिड ट्रायल -1 (एएचटी-I) और एडवांस हाइब्रिड ट्रायल- II (एएचटी-II) है। उन्होंने कहा कि यदि उपज प्रदर्शन आईएचटी स्तर पर विफल रहता है और निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता है, तो अगले स्तर के परीक्षण नहीं किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आईसीएआर उपज प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए सख्त निर्धारित मानदंडों का पालन करता है। उन्होंने कहा कि यदि डीएचएम-द्वितीय तीनों परीक्षणों को मंजूरी देता है, तो जीएम हाइब्रिड बीज किस्म वाणिज्यिक स्तर पर जारी किये जाने के लिए अधिसूचना को तैयार होता है। ये फैसला उचित वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद किया जाता है। राय ने कहा कि डीआरएमआर डीएमएच-11 की उपज के संदर्भ में प्रदर्शन की तुलना में तकनीक को लेकर ज्यादा चिंतित है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, यदि कोई मौजूदा किस्म 28-29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है, तो इस तकनीक का उपयोग करके उच्च उपज देने वाले संकरों में परिवर्तित किया जा सकता है। 

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