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GST: बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी न लगाने की मांग, नहीं तो करोड़ों लोगों पर पड़ेगी महंगाई की मार

कैट ने मांग की है कि बिना ब्रांड वाले खाने पीने के सामान को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी सूरत में इसको 5% कर दायरे में न लाया जाए।

Alok Kumar Edited by: Alok Kumar @alocksone
Updated on: June 22, 2022 17:20 IST
GST- India TV Paisa
Photo:FILE

GST

Highlights

  • कैट ने वित्त मंत्री से आग्रह करते हुए कहा है बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न को कर से मुक्त रखा जाए
  • रोटी, कपड़ा और मकान आम जरूरतों की वस्तुएं हैं, इन पर टैक्स नहीं लगाएं
  • हर महीने जीएसटी संग्रह में हो रही है वृद्धि, ऐसे में किसी भी वस्तु कर लगाने की जरूरत नहीं

GST: कारोबारियों के संगठन कैट ने बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी नहीं लगाने की मांग की है। कैट ने कहा है कि अगर लोकल उत्पादों पर टैक्स लगाया जाता है तो इसका असर करोड़ों लोगों पर होगा। कैट ने जीएसटी पर गठित मंत्रियों के समूह द्वारा दी गई सिफारिशों को जीएसटी काउन्सिल की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग में लागू नहीं करने की मांग करते हुए कहा है कि टैक्स स्लैब में बदलाव से पहले व्यापारियों से सलाह मशवरा लिया जाए। 

5% के कर दायरे में न लाया जाए

कैट ने मांग की है कि बिना ब्रांड वाले खाने पीने के सामान को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी सूरत में इसको 5% कर दायरे में न लाया जाए। कैट ने यह भी कहा की टेक्सटाइल तथा फुटवियर को 5% के कर स्लैब में ही रखा जाए। कैट ने कहा है की रोटी, कपड़ा और मकान आम लोगों की जरूरतों की वस्तुएं हैं और अगर इन पर टैक्स लगाया गया तो इसका सीधा भार देश के 130 करोड़ लोगों पर पड़ेगा जो पहले ही महंगाई की मार से दबे हुए हैं। आम आदमी की आमदनी कम हो रही है जबकि खर्चा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही  जा रहा है। 

अब टैक्स बढ़ाने की जरूरत नहीं 

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की जब प्रतिमाह जीएसटी संग्रह में वृद्धि हो रही है ऐसे में किसी भी वस्तु कर अधिक जीएसटी लगाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह आवश्यक है की जीएसटी कर कानूनों एवं नियमों की नए सिरे से दोबारा समीक्षा हो और कर दरो में विसंगतियों को समाप्त किया जाए। अब समय आ गया है कि जीएसटी कर प्रणाली की जटिलता को दूर किया जाए जबकि यदि समिति की सिफारिशों को माना गया तो यह कर प्रणाली और अधिक जटिल हो जाएगी।

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