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GST Slabs: GST में हों सिर्फ 2 दरें और छूट की लिस्ट हो छोटी, मोदी के करीबी ने सरकार को दी ये महत्वपूर्ण सलाह

GST Slabs: फिलहाल GST में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार कर स्लैब हैं। इसके अलावा, Gold और स्वर्ण आभूषणों पर 3% tax लगता है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 21, 2022 11:19 IST
GST- India TV Paisa
Photo:FILE GST

Highlights

  • अरविंद पनगढ़िया ने सरकार को जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर सलाह दी
  • फिलहाल जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार कर स्लैब हैं
  • कुल जीएसटी कलेक्शन का 70 फीसदी टैक्स 18 फीसदी वाले स्लैब से आता है

GST Slabs: देश में GST को लेकर हमेशा से ही चर्चाओं का बाजार गर्म रहा है। हाल में दही और आटे जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी की दरें बढ़ाने के चलते ताजा बवाल अभी थमा नहीं था, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब रहे नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सरकार को जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर सलाह दे दी है। जिसके बाद देश में जीएसटी की 4 दरों में कमी लाने की मांग एक बार फिर शुरू हो गई है। 

पनगढ़िया ने अनुसार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दो स्लैब ढांचे की वकालत करते हुए कहा है कि छूट वाली सूची को छोटा किया जाना चाहिए। कोलंबिया ग्लोबल सेंटर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हमें दो दर के जीएसटी ढांचे की जरूरत है। जीएसटी की छूट की सूची को भी कम किया जाना चाहिए।’’ 

GST में हैं चार स्लैब

फिलहाल जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार कर स्लैब हैं। इसके अलावा, सोने और स्वर्ण आभूषणों पर तीन प्रतिशत कर लगता है। इसके अतिरिक्त कुछ बिना ब्रांड (अनब्रांडेड) और बिना पैकिंग (अनपैक्ड) वाले उत्पाद हैं जिनपर जीएसटी नहीं लगता है। श के कुल जीएसटी कलेक्शन का 70 फीसदी टैक्स 18 फीसदी वाले स्लैब से आता है। 18 फीसदी वाले स्लैब में 480 चीजें आती हैं।

5 प्रतिशत के स्लैब में बदलाव की सिफारिश

पनगढ़िया के बयान से पहले ही स्लैब में बदलाव की मांग उठ चुकी है। सूत्रों के अनुसार पांच प्रतिशत स्लैब को बढ़ाकर 7 या 8 या 9 प्रतिशत करने की चर्चा चल रही है। इसपर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद द्वारा लिया जाएगा। गणना के अनुसार, पांच प्रतिशत स्लैब में प्रत्येक एक प्रतिशत की वृद्धि (जिसमें मुख्य रूप से पैकेज्ड खाद्य पदार्थ शामिल हैं) से मोटे तौर पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

मोदी के दौर में 7.4 फीसदी की दर से बढ़ी इकोनॉमी 

भारत की वृहद आर्थिक स्थिति पर पनगढ़िया ने कहा कि हम पिछले 17 साल से काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। हम अगले दो दशक में सात से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि 2014-15 से 2019-20 यानी नरेंद्र मोदी सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। 

अंधाधुंध कर्ज से बढ़ी बैंकों की समस्या 

2008 से 2012 के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठंबधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में बैंकों ने अंधाधुंध कर्ज बांटा। इससे गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ीं और 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर चार प्रतिशत पर आ गई। 

श्रीलंका से भारत की तुलना निहायत बकवास

कुछ विशेषज्ञों द्वारा श्रीलंका की हालिया स्थिति की तुलना भारत से करने पर पनगढ़िया ने कहा, ‘‘यह बकवास है। भारत एक काफी स्थिर अर्थव्यवस्था है।’’ पनगढ़िया फिलहाल कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

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