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1 हजार करोड़ से 16,000 करोड़ का सफर, हथियार एक्सपोर्ट करने में तेजी से आगे बढ़ रहा देश, देखिए आंकड़े

सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये का भी नहीं था। आज, यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

Pawan Jayaswal Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: February 24, 2024 23:25 IST
रक्षा निर्यात- India TV Paisa
Photo:REUTERS रक्षा निर्यात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि अगले चार वर्षों में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और सैन्य उपकरणों का निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसी उच्च-स्तरीय प्रणालियों का उत्पादन देश के भीतर किया जाएगा। सिंह ने एक रक्षा सम्मेलन में संरचनात्मक रक्षा सुधारों पर चर्चा करते हुए कहा कि सेना के तीनों अंग (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) पहले "अलग-अलग" काम करते थे, लेकिन अब वे संयुक्त रूप से हर चुनौती से निपटने के लिए बेहतर समन्वय के साथ तैयार हैं।

टॉप-25 हथियार निर्यातकों में शामिल हुए

सिंह ने कहा, "पहले, भारत को हथियार आयातक के रूप में जाना जाता था। लेकिन आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों की सूची में जगह बना ली है।" उन्होंने कहा, "सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये का भी नहीं था। आज, यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। 2028-29 तक, वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।"

बेहतर समन्वय पर है ध्यान

सिंह ने कहा कि 2024-25 के वास्ते रक्षा बजट के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में 4,35,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजीगत खरीद परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है और सरकार ने अगले पांच साल में भारत में एयरो-इंजन तथा गैस टर्बाइन जैसी उच्चस्तरीय प्रणालियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच ‘एकजुटता’ पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे "संकट" के समय में बेहतर समन्वय सुनिश्चित होगा।

पहले अलग-अलग काम करते थे सेना के तीनों अंग

उन्होंने फर्स्टपोस्ट रक्षा शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘सेना के तीनों अंग पहले अलग-अलग काम करते थे। हमने उनके एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जो लीक से हटकर उठाया गया कदम था और यह समय की मांग भी था। शुरुआत में यह थोड़ा कठिन था; लेकिन आज हमारी सेना बेहतर समन्वय के साथ हर चुनौती से मिलकर निपटने के लिए तैयार है।’’ सिंह ने कहा कि हथियारों के आयात पर रोक ने कुछ समय के लिए मुश्किल स्थिति पैदा की, लेकिन चुनौती धीरे-धीरे अवसर में बदल रही है और भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में आगे बढ़ रहा है।

1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ रक्षा उत्पादन

उन्होंने कहा, "आज, हमारी सेना उन हथियारों और प्लेटफार्म का उपयोग कर रही है, जो हमारी अपनी धरती पर निर्मित हैं।" रक्षा मंत्री ने कहा कि कोई भी सेना बाहर से आयातित उपकरणों से अपने देश की रक्षा नहीं कर सकती और आज के समय में रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता भारत के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार के लगातार प्रयासों का फल मिलना शुरू हो गया है, क्योंकि रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है।

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