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यूक्रेन युद्ध से भारतीय इकोनॉमी को झटका, पेट्रोल-डीजल को लेकर हुई बड़ी भविष्यवाणी

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि युद्ध कब खत्म होगा इसे लेकर अनिश्चितता की स्थिति के चलते कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : March 30, 2022 18:47 IST
Petrol Pump- India TV Paisa
Photo:FILE

Petrol Pump

Highlights

  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7 से 7.2 फीसदी
  • रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ ने कहा कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं
  • वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वद्धि 7.2 फीसदी रह सकती है

मुंबई।  रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध कब खत्म होगा इसे लेकर अनिश्चितता की स्थिति के चलते कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं। ऐसे में पेट्रोल डीजल के दाम फिलहाल घटने की उम्मीद नहीं है।  इसका दूसरा परिदृश्य यह है कि कीमतें छह महीने तक उच्चस्तर पर रह सकती हैं। रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7 से 7.2 फीसदी कर दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ती अनिश्चितता और उसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं की धारणा प्रभावित होने के कारण इंडिया रेटिंग ने वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है।

रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत और प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि यदि कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर रहती है तो वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वद्धि 7.2 फीसदी रह सकती है और यदि कीमतें इस अवधि के बाद भी ऊंचे स्तर पर रहती हैं तो जीडीपी वृद्धि और भी कम सात प्रतिशत रहेगी। दोनों ही आंकड़े जीडीपी वृद्धि के पहले के 7.6 फीसदी के अनुमान से कम हैं। उन्होंने कहा कि आगामी वित्त वर्ष में इन दो परिदृश्यों में अर्थव्यवस्था का आकार 2022-23 के जीडीपी रुझान मूल्य की तुलना में क्रमश: 10.6 प्रतिशत और 10.8 फीसदी कम रहेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में उपभोक्ता मांग कमजोर रही है। हालांकि, त्योहारों के दौरान दैनिक उपभोग की वस्तुओं की मांग बढ़ी थी। लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए इसमें संदेह है कि यह मांग बनी रहेगी। लोगों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च में कमी आएगी। यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण जिंसों की बढ़ती कीमतें, उपभोक्ता मुद्रास्फीति के बढ़ने के कारण उपभोक्ताओं धारणा और भी कमजोर पड़ सकती हैं। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि निजी उपभोग पर खर्च के पहले के 9.4 फीसदी के अनुमान के मुकाबले पहले और दूसरे परिदृश्य में क्रमश: 8.1 फीसदी और आठ प्रतिशत रहेगा।

मुद्रास्फीति के मोर्चे पर, रिपोर्ट में आगाह किया गया कि मुद्रा के मूल्य में गिरावट को जोड़े बिना कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि से खुदरा मुद्रास्फीति 0.42 फीसदी और थोक मुद्रास्फीति 1.04 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसी तरह सूरजमुखी के तेल में 10 प्रतिशत के उछाल से खुदरा मुद्रास्फीति 0.12 फीसदी और थोक मुद्रास्फीति 0.024 फीसदी बढ़ सकती है।

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