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LIC IPO लाने के साथ कारोबारी मॉडल में करने जा रही बड़ा बदलाव, दूसरी इंश्योरेंस कंपनियों की बढ़ेगी मुश्किल

रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात प्रतिशत अंक बेहतर करते हुए 9.9 प्रतिशत पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है। 

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : February 20, 2022 18:05 IST
LIC- India TV Paisa
Photo:FILE

LIC

Highlights

  • स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने यह संभावना जताई
  • मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर
  • नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी में एलआईसी की हिस्सेदारी बहुत कम

नई दिल्ली। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने जा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आने वाले समय में अपने कारोबार को नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी की दिशा में मोड़कर निजी बीमा कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है। स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने आईपीओ की मंजूरी के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दायर आवेदन ब्योरे का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ जैसी जीवन बीमा कंपनियों को उठाना पड़ेगा। 

मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर 

रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात प्रतिशत अंक बेहतर करते हुए 9.9 प्रतिशत पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है। इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में भागीदार पॉलिसी के साथ गैर-प्रतिभागी पॉलिसी को भी 10 प्रतिशत जगह दे सकेगी जो फिलहाल महज चार प्रतिशत है। इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 प्रतिशत तक भी लेकर जा सकती है। क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा कारोबार पूरी तरह नए अधिशेष वितरण की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। वर्तमान में नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी सौ फीसदी और प्रतिभागी पॉलिसी 10 प्रतिशत है। प्रतिभागी बीमा पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या लाभांश वितरण के रूप में गारंटीशुदा एवं बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं। 

नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी की हिस्सेदारी बहुत कम 

वहीं गैर-प्रतिभागी पॉलिसी में पॉलिसीधारक को अमूमन गारंटीशुदा फायदे मिलते हैं लेकिन उन्हें लाभ या लाभांश नहीं दिया जाता है। फिलहाल एलआईसी का अपने नए कारोबार प्रीमियम का सिर्फ चार प्रतिशत ही नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी से आता है। इसके उलट निजी क्षेत्र की शीर्ष बीमा कंपनियों का यह अनुपात 20 से 45 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी का गैर-प्रतिभागी पॉलिसी का मार्जिन अपने ही प्रतिभागी पॉलिसी कारोबार से अधिक है और निजी कंपनियां भी इस मामले में उससे पीछे हैं। देश में उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत के 21 साल बाद भी एलआईसी का नई बीमा पॉलिसी कारोबार में बाजार हिस्सेदारी 66 प्रतिशत है। इसकी बड़ी हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एलआईसी के बाद दूसरे स्थान पर मौजूद कंपनी से उसकी प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 16 गुना अधिक है।

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