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वाटर प्यूरीफायर कौन खरीदें? RO, UV, UF और TDS जैसे भारी-भरकम शब्द के मायने समझें

UV यानी अल्ट्रावॉयलट तकनीक यह यह पानी में घुले क्लोरीन और आर्सेनिक को साफ नहीं कर सकता। इसका इस्तेमाल उन इलाकों में ही होना चाहिए जहां ग्राउंड वॉटर पहले से मीठा हो और सिर्फ बैक्टरिया को खत्म किए जाने की जरूरत हो।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : May 28, 2024 6:00 IST, Updated : May 28, 2024 7:38 IST
Water Purifier - India TV Paisa
Photo:FILE वाटर प्यूरीफायर

वाटर प्यूरीफायर खरीदते समय आपको किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और आपके लिए कौन सा वाटर प्यूरीफायर अच्छा होगा? इसकी जानकारी हम आज आपको देंगे। अगर आप भी उन लोगों में से है जो  RO, UV, UF, MF, TDS के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नही रखते और वाटर प्यूरीफायर को उसके प्राइस के आधार पर खरीदने की सोच रहे है तो यह खबर आपकी इसमें मदद कर सकती है। तो आइए शुरु करते है और आपको बताते है वाटर प्यूरीफायर खरीदने समय सबसे पहले किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

अगर आपके घर या ऑफिस में पानी का टीडीएस लेवल 250-300 के बीच है तो आपको RO खरीदने की जरुरत नही है। तो आपको UF+UV वाला वाटर प्यूरीफायर खरीदना चाहिए। लेकिन अगर पीनी का टीडीएस लेवल 300 से ज्यादा है तब आप RO+UF+UV वाला वाटर प्यूरीफायर खरीद सकते है। 

RO, UV, UF, MF, TDS क्या है?

RO (Reverse Osmosis) फिल्टर एक बहुत अच्छी फिल्टरेशन टेक्नोलाजी है लेकिन इससे 1 लीटर पानी को फिल्टर करने के लिए लगभग 3 लीटर पानी बर्बाद होता है। इससे केल्शियम, मैगनिशियम, सोडियम, मिनरल्स, पानी से निकल जाते है। आरओ प्यूरीफायर का इस्तेमाल उन इलाकों में करना चाहिए जहां पानी में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व्ड सॉल्ट) हो यानी पानी खारा हो।

UV यानी अल्ट्रावॉयलट तकनीक यह यह पानी में घुले क्लोरीन और आर्सेनिक को साफ नहीं कर सकता। इसका इस्तेमाल उन इलाकों में ही होना चाहिए जहां ग्राउंड वॉटर पहले से मीठा हो और सिर्फ बैक्टरिया को खत्म किए जाने की जरूरत हो।

UF (अल्ट्रा फिल्ट्रेशन) पानी में मौजूद मर चुके जर्मस और बेकटिरिया को खत्म फील्टर करते है। लेकिन पानी में मौजूद पदार्थों (solids) और धातु (metals) को यह फील्टर खत्म नही कर पाते। यूएफ प्योरिफिकेशन सिस्टम एक फिजिकल तकनीक है। यह एक मेंब्रेन या लेयर है जिसमें पानी को डालने से घुली हुई अशुद्धियां साफ हो जाती हैं। लेकिन जहां पानी हार्ड हो और क्लोरीन और आर्सेनिक की मात्रा हो तो इसका कोई फायदा नहीं है।

MF (माइक्रो फिल्टरेशन सिस्टम) पानी के अंदर मौजूद मिट्टी को साफ हो जाएगी लेकिन यह पानी में मौजूद धातुओं को खत्म नही कर पाता है।

TDS (Total Dissolved Solids) यह बताता है कि पानी की एक इकाई (Unit) में कठोर पदार्थों (solids) या रसायनों (Chemicals) की मात्रा किस अनुपात में है। ये ठोस पदार्थ खनिज (minerals), नमक, धातु (metals), अनाज या पानी में विलीन आयनों के रूप में हो सकते हैं। कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम बाईकार्बोनेट, क्लोराइड जैसी के रूप में घुली हो सकती हैं। इनकी मौजूदगी की वजह से ही पानी अशुद्ध या कठोर (hard) होता है।

TDS के अनुसार पानी की कैटेगरी

50 से 250 ppm या इससे भी कम जरूरत से बहुत कम: उपयोग कर सकते हैं, पर स्वास्थ्य के लिए जरूरी कुछ महत्वपूर्ण खनिजों (minerals) की मात्रा, आवश्यकता से कम हैं।

300 से 500 ppm एकदम ठीक (Perfect): खनिजों की संतुलित मात्रा युक्त, पीने के लायक एकदम ठीक पानी।

600 से 900 ppm पर्याप्त रूप से अच्छा नहीं: खनिजों की मात्रा आवश्यकता से अधिक, इसे RO यानी कि reverse osmosis सिस्टम से शुद्ध करके उपयोग में लाया जा सकता है।

1000 से 2000 ppm नुकसानदेह: खनिजों की मात्रा आवश्यकता से बहुत अधिक, पानी इस्तेमाल करने लायक नहीं।

2000 ppm से अधिक बिल्कुल बेकार: पूरी तरह अ​सुर​क्षित पानी, घरेलू फिल्टर से इसको शुद्ध करना संभव नहीं।

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