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Windfall Tax: भारत सरकार ने डीजल से घटाया टैक्स, जानिए क्या आपकी जेब पर पड़ेगा इसका असर?

सरकार ने जुलाई से Windfall Tax की यह व्यवस्था लागू की थी। जिसकी समीक्षा हर 15 दिनों में की जाती है। नई दरें 17 सितंबर से प्रभाव में आ गई हैं।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Sep 17, 2022 13:25 IST, Updated : Sep 17, 2022 13:33 IST
Diesel Tax Cut- India TV Paisa
Photo:FILE Diesel Tax Cut

Highlights

  • सरकार ने भारत में उत्पादित कच्चे तेल पर टैक्स की दरों में कटौती की
  • कच्चे तेल के दाम घटकर छह महीने के निचले स्तर पर
  • सरकार ने जुलाई से यह व्यवस्था लागू की थी

Windfall Tax:  सरकार ने एक बार फिर विंडफॉल टैक्स की दरों में बदलाव किया है। इसके तहत सरकार ने भारत में उत्पादित कच्चे तेल पर टैक्स की दरों में कटौती की। वहीं डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर लगने वाला शुल्क भी कम किया गया है। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की घटती कीमतों के अनुसार लिया गया है। लेकिन अगर आप ये सोच रहे हैं कि इससेआपकी जेब को रहत मिलेगी तो आप गलत है, क्योंकि ये टैक्स भारत से निर्यात होने वाले तेल पर लगता है इसे में इसका फायदा भी रिफायनरी को ही मिलेगा। बता दें कि सरकार ने इस साल जुलाई से भारत से निर्यात होने वाले पेट्रोल डीजल और एटीएफ पर विंडफॉल टैक्स लगाया था। 

अब कितना हुआ टैक्स 

सरकार ने जुलाई से यह व्यवस्था लागू की थी। जिसकी समीक्षा हर 15 दिनों में की जाती है। सरकार ने पांचवें पखवाड़े की समीक्षा में घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर कर 13,300 रुपये प्रति टन से घटाकर 10,500 रुपये प्रति टन कर दिया। इसके अलावा डीजल के निर्यात पर शुल्क 13.5 रुपये प्रति लीटर से कम कर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। साथ ही विमान ईंधन निर्यात पर शुल्क 9 रुपये प्रति लीटर से घटा कर 5 रुपये लीटर कर दिया गया है। नई दरें 17 सितंबर से प्रभाव में आएंगी। 

कच्चे तेल की घटती कीमतों के चलते लिया फैसला 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटकर छह महीने के निचले स्तर पर आ गए हैं। इसके कारण विंडफॉल टैक्स यानि अप्रत्याशित लाभ कर में कमी की गई है। भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का औसत मूल्य सितंबर में 92.67 डॉलर प्रति बैरल रहा जो पिछले महीने में 97.40 डॉलर प्रति बैरल था। 

जुलाई से लागू हुई थी व्यवस्था 

सरकार ने एक जुलाई को पेट्रोल और एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया था। इसके अलावा कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित लाभ कर लगाया गया था। इसके साथ भारत उन देशों में शामिल हुआ, जो ऊर्जा कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगा रहे थे। हालांकि, उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नरम हुए हैं। इससे तेल उत्पादकों और रिफाइनरियों दोनों के लाभ मार्जिन पर असर हुआ।

घरेलू कच्चे तेल उत्पादन पर राहत

घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगने वाले कर को 13,300 रुपये प्रति टन से घटाकर 10,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया। सरकार ने दो अगस्त को डीजल के निर्यात पर कर को 11 रुपये से घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर कर दिया। वहीं एटीएफ पर इसे खत्म करने का फैसला लिया गया है। इसी तरहए पेट्रोल के निर्यात पर शून्य कर जारी रखा लेकिन घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर कर 17ए000 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 17ए750 रुपये प्रति टन कर दिया गया। 

क्यों लगाया था टैक्स 

सरकार ने 1 जुलाई को यह टैक्‍स लगाते हुए बताया था कि ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के कारण घरेलू बाजार में पेट्रोल डीजल के खुदरा मूल्‍य को बढ़ने से रोकने के लिए निर्यात पर टैक्स लगाया गया था। इसका मकसद था कि कंपनियां यहां रिफाइन किए गए ईंधन को निर्यात करने के बजाए घरेलू बाजार में ही खपत कराएं, ताकि आपूर्ति बेहतर हो और कीमतें कम की जा सकें। यह अतिरिक्‍त टैक्‍स लागू होने के बाद से ही तेल कंपनियां इसका विरोध कर रहीं थी।

फायदा या नुकसान सिर्फ 2 कंपनियों को 

सरकार के इस फैसले का फायदा या नुकसान रिलायंस जैसी रिफाइंड ईंधन का निर्यात करने वाली कंपनियों को होगा। इसके अलावा रोजनेफ्ट की कंपनी नायरा एनर्जी को भी नए फैसले का असर होगा। ये दोनों कंपनियां मिलकर करीब 85 फीसदी ईंधन का निर्यात करती हैं।

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