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FPI is Back: विदेशी निवेशकों का 9 महीने बाद 'U Turn', Stock Market में छाएगी हरियाली? जानिए क्या कहते हैं Expert

FPI is Back: जून में FPI ने 50,145 करोड़ रुपये के Share बेचे थे। यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में FPI की बिकवाली का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

Written By: Indiatv Paisa Desk
Published : Jul 24, 2022 11:57 IST, Updated : Jul 24, 2022 11:57 IST
FPI back in stock market- India TV Paisa
Photo:FILE FPI back in stock market

Highlights

  • विदेशी निवेशक का रुख 9 महीने के बाद अब बदलता दिख रहा है
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आखिरकार यू टर्न ले लिया है
  • जुलाई के महीने में एफपीआई 1100 करोड़ रुपये के शेयर खरीद चुके हैं

FPI is Back: भारतीय बाजारों में गिरावट का प्रमुख कारण रहे विदेशी निवेशक का रुख अब बदलता दिख रहा है। बीते 9 महीने से बिकवाली कर रहे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आखिरकार यू टर्न ले लिया है। जुलाई के महीने में एफपीआई बिकवाली के सिलसिले पर ब्रेक लगाते हुए 1100 करोड़ रुपये के शेयर खरीद चुके हैं। ऐसे में बीते सप्ताह की तरह आगे भी शेयर बाजार में सावन की हरियाली देखने को मिल सकती है। 

इससे पहले जून में एफपीआई ने 50,145 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में एफपीआई की बिकवाली का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उस समय एफपीआई ने शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे। अक्टूबर, 2021 यानी पिछले लगातार नौ माह से एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से निकासी कर रहे थे। 

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘बढ़ती महंगाई तथा मौद्रिक रुख में सख्ती के चलते अभी एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।’’ डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 22 जुलाई के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 1,099 करोड़ रुपये डाले हैं। चौहान ने कहा कि इस महीने एफपीआई की अंधाधुंध बिकवाली न केवल रुकी है, बल्कि माह के कुछ दिन तो वे शुद्ध लिवाल रहे हैं। 

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की लिवाली की एक और बड़ी वजह यह है कि उनका मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक आगामी बैठक में ब्याज दरों में इतनी आक्रामक वृद्धि नहीं करेगा, जैसा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था। इससे डॉलर सूचकांक भी नरम हुआ है, जो उभरते बाजारों की दृष्टि से अच्छा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में मंदी की संभावना भी कम हुई है। इसके अलावा हाल में बाजार में आए ‘करेक्शन’ की वजह से भी लिवाली के अवसर बढ़े हैं। 

इसी तरह की राय जताते हुए ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा कि अमेरिका के कमजोर आर्थिक आंकड़ों से उम्मीद बंधी है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि नहीं करेगा। इसके अलावा कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इससे भी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। इस साल अभी तक एफपीआई शेयरों से 2.16 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। यह किसी एक साल में एफपीआई की निकासी का सबसे ऊंचा स्तर है। 

इससे पहले 2008 के पूरे साल में उन्होंने 52,987 करोड़ रुपये निकाले थे। शेयरों के अलावा समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध रूप से 792 करोड़ रुपये डाले हैं।

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