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स्मॉलकैप शेयरों ने 2022 में निवेशकों को कराया नुकसान, 2023 के लिए मार्केट एक्सपर्ट लगा रहे हैं ये अनुमान

इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 940.72 अंक यानी 3.19 प्रतिशत नीचे आया।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: December 28, 2022 16:06 IST
स्मॉलकैप - India TV Paisa
Photo:INDIA TV स्मॉलकैप

लगातार दो साल बेहतर रिटर्न देने वाली छोटी कंपनियों (स्मॉलकैप) के शेयरों का प्रदर्शन इस साल (2022) निराशाजनक रहा। बीएसई ‘स्मॉलकैप’ यानी छोटी कंपनियों के शेयरों का सूचकांक 3% से अधिक नीचे आया। इससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा। शेयर बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव और बैंकों में ब्याज दर बढ़ने से निवेशक इन शेयरों से दूर रहे। हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि इस साल छोटी और मझोली (मिड कैप) कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन फीका रहा लेकिन अगले साल इन सेगमेंट में तेजी की उम्मीद है। यानी निवेशकों को अगले साल स्मॉलकैप और मिड कैप स्टॉक में अच्छी कमाई हो सकती है। 

इस कारण स्मॉलकैप-मिडकैप स्टॉक्स ने दिया निगेटिव रिटर्न 

ब्रोकरेज कंपनी स्वस्तिका इन्वेस्टमॉर्ट लि.के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, बैंक उद्योग को छोड़ दें तो कंपनियों की कमाई बेहतर नहीं होना इसका प्रमुख कारण है। ब्याज दर का बढ़ना भी चिंताजनक रहा क्योंकि छोटी कंपनियों के मामले में पूंजी की लागत बड़ी कंपनियों के मुकाबले अधिक होती है। सामान्य तौर पर विदेशी निवेशक बड़ी कंपनियों को चुनते हैं और वे पिछले दो माह में शुद्ध रूप से खरीदार रहे हैं। उन्होंने कहा, नियमित निवेश एसआईपी प्रवाह रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा और ज्यादातर निवेश बड़ी कंपनियों में गया। इससे बड़ी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बाजार के प्रदर्शन से भी बेहतर रहा।

स्मॉलकैप सूचकांक 940 अंक नीचे आया

विश्लेषकों के अनुसार, मझोली और बड़ी कंपनियों के मुकाबले छोटी कंपनियों के शेयरों के सूचकांक में उतार-चढ़ाव हमेशा अधिक होता है। इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 940.72 अंक यानी 3.19 प्रतिशत नीचे आया। स्मॉलकैप सूचकांक 18 जनवरी को 31,304.44 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था और बाद में यह 20 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 23,261.39 पर आ गया था। दूसरी तरफ मिडकैप सूचकांक 27 दिसंबर तक 215.08 अंक यानी 0.86 प्रतिशत चढ़ा। यह 20 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 20,814.22 अंक पर और 14 दिसंबर को एक साल के उच्चस्तर 26,440.81 अंक पर पहुंच गया था। 

बीएसई सेंसेक्स 2,673 अंक चढ़ा

दूसरी तरफ बीएसई सेंसेक्स इस दौरान 2,673.61 अंक यानी 4.58 प्रतिशत चढ़ा। प्रमुख सूचकांक एक दिसंबर को रिकॉर्ड 63,583.07 अंक और 17 जून को 52 सप्ताह के निचले स्तर 50,921.22 अंक तक आ गया था। निवेश परामर्शदाता मार्केट्स मोजो में मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया ने कहा, ‘‘मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में लिहाज से 2022 अच्छा साल नहीं रहा। इसका कारण 2020 और 2021 में इन शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रहना था। उसके बाद इनमें जमकर मुनाफावसूली हुई। जिन निवेशकों ने 2020 और 2021 में कम भाव पर ऐसे शेयर खरीदे थे, उन्होंने 2022 में उसे बेचा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों के मुकाबले कमजोर रहा।’’ 

2023 में शानदार रिटर्न मिलने की उम्मीद 

विश्लेषकों का यह भी कहना है कि छोटी कंपनियों के शेयर आमतौर पर स्थानीय निवेशक खरीदते हैं जबकि विदेशी निवेशक बड़ी कंपनियों के शेयरों को तरजीह देते हैं। मीणा ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच 2023 की शुरुआत में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, लेकिन उसके बाद मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है। दमानिया ने भी कहा कि 2022 छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों के लिये अच्छा नहीं रहा लेकिन 2023 में स्थिति बदल सकती है। 

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