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FD में निवेश करने के हैं ये पांच बड़े नुकसान, पैसा लगाने से पहले जान लें

अगर आप एक बेहतर FD रेट की तलाश में है ताकि आपको अधिक से अधिक रिटर्न मिल सके तो फिलहाल के लिए रूक जाइए और इंडिया टीवी की इस खबर को पढ़िए, जिससे की आपको ये पता चल सके कि FD निवेश के पांच बड़े नुकसान क्या होते हैं।

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : Nov 22, 2022 16:41 IST, Updated : Nov 22, 2022 16:41 IST
FD में निवेश करने के हैं ये पांच बड़े नुकसान- India TV Paisa
Photo:INDIA TV FD में निवेश करने के हैं ये पांच बड़े नुकसान

FD Rate: 'निवेश' एक ऐसा शब्द जिसके सुनाई देने के बाद दिमाग में सिर्फ एक ही नाम आता है और वो है FD, यानि Fixed Deposit। आमतौर पर लोग इसमें पैसा इन्वेस्ट भी करते हैं, लेकिन उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में कोई अंदाजा नहीं होता है। आज हम आपको FD निवेश के पांच बड़े नुकसान के बारे में बताने वाले हैं।

1. ब्याज पर देना होता है टैक्स

FD पर मिलने वाले ब्याज को आप अपने अकाउंट में सीधे नहीं क्रेडिट करा सकते हैं। प्राप्त ब्याज पर पूरी तरह से टैक्स वसूला जाता है। जब आप अपना आईटीआर फाइल करते हैं तो एफडी से मिलने वाले ब्याज को एक इनकम के तौर पर काउंट किया जाता है और सरकार इसपर आपसे टैक्स लेती है।

2. टीडीएस पर टैक्स

एफडी से मिलने वाले ब्याज पर भी टीडीएस लगता है। बैंक इसे प्रत्येक वर्ष के अंत में अर्जित ब्याज से घटाते हैं। हालांकि, जमाकर्ता के पास टीडीएस से बाहर निकलने और परिपक्वता पर सभी ब्याज का भुगतान करने का विकल्प होता है। फॉर्म 26एएस, जमाकर्ता के पैन कार्ड से जुड़ा हुआ है और एफडी के लिए किए गए सभी टीडीएस कटौतियों को दिखाता है।

टैक्स कंडिशन टैक्स रेट
जब किसी दिए गए बैंक में सभी एफडी से ब्याज 10,000 रुपये से कम हो कुछ नहीं
जब ब्याज लाभ 10, 000 रुपये से अधिक हो जाए  10%
जब FD करने वाला अपने पैन कार्ड का डेटा प्रदान नहीं करता हो  20%
जब FD करने वाले की कुल आय और उसके सभी स्रोतों से होने वाली कमाई एक वर्ष में 2,50,000 से अधिक न हो कुछ नहीं

ध्यान दें कि अगर एफडी जमाकर्ता की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो एफडी के ब्याज से कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक आपकी कम आय के बारे में जानता है, संबंधित बैंक शाखा में फॉर्म 15जी और फ्रॉम 15एच जमा करें।

3. कम ब्याज दर

जबकि एफडी आपको 10% की अधिकतम ब्याज दर की पेशकश कर सकता है। कई बार इतना ब्याज भी नहीं मिलता है, जबकि म्यूचुअल फंड सहित अन्य निवेश के रास्ते रिटर्न की पेशकश करते हैं जो 20% या 30% से अधिक हो सकते हैं। लेकिन म्युचुअल फंड (एमएफ) के साथ एक समस्या ये है कि ये अधिक जोखिम से जुड़े हुए हैं, जो अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं, वे म्युचुअल फंड में निवेश करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

4. ब्याज दर महंगाई से कम हो सकती है

कभी-कभी महंगाई दर एफडी की ब्याज दर से भी अधिक हो सकती है। इतना ही नहीं अगर आप तय सीमा से पहले अपनी राशि बैंक से निकालते हैं तो एक पैसा भी आपको जमा राशि से अधिक बैंक के तरफ से नहीं दी जाती है।

5. ब्याज दर में कोई वृद्धि नहीं

एफडी में पूरे कार्यकाल में एक समान ब्याज मिलता है, यानि आपको बैंक ने जितना पर्सेंट देने का वादा किया है उससे एक भी रुपया अधिक नहीं देती है। 

एफडी पहले केवल छोटी अवधि की बचत के लिए अच्छी थी, लेकिन अब उनकी अवधि अधिक है। जबकि टैक्स-मुक्त विकल्प के लिए उसे नहीं काउंट किया जा सकता है। लेकिन पीपीएफ में निवेश टैक्स के दायरे से बाहर आता है। 

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