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Mutual Funds में निवेश करने से पहले इन बातों को कर लें नोट, नए हैं तो जरूर समझें कितनी आती है लागत

म्यूचुअल फंड लचीले भी होते हैं, जिससे प्रवेश और निकास बहुत आसान होता है। यहां तक कि 500 रुपये प्रति माह बचाने वाला व्यक्ति भी एकमुश्त या एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Feb 27, 2024 17:56 IST, Updated : Feb 27, 2024 17:56 IST
अपने लक्ष्यों के आधार पर, इक्विटी फंड, डेट फंड और लिक्विड फंड के बीच मिश्रण तय करें।- India TV Paisa
Photo:FILE अपने लक्ष्यों के आधार पर, इक्विटी फंड, डेट फंड और लिक्विड फंड के बीच मिश्रण तय करें।

म्यूचुअल फंड निवेश में अगर आप नए हैं तो आपको पैसा लगाने से इसे अच्छी तरह समझने की जरूरत है। म्यूचुअल फंड्स एक सेबी द्वारा रेगुलेटेड यूनिट है जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) निवेशकों से छोटी या बड़ी निवेश राशि इकट्ठा करती हैं और इसे बॉन्ड, इक्विटी और दूसरी परिसंपत्तियों में निवेश करती है। यह इकट्ठा किए गए इन फंडों के बदले  यूनिट जारी करता है। म्यूचुअल फंड लचीले भी होते हैं, जिससे प्रवेश और निकास बहुत आसान होता है। यहां तक कि 500 रुपये प्रति माह बचाने वाला व्यक्ति भी एकमुश्त या एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है। म्यूचुअल फंड आम तौर पर ट्रस्ट में रखे गए फंड होते हैं और एएमसी द्वारा मैनेज्ड होते हैं। इसमें निवेश से पहले कुछ खास बातों पर जरूर गौर किया जाना चाहिए। आइए इस पर चर्चा करते हैं।

  • म्यूचुअल फंड में निवेश एक लक्ष्य को ध्यान में रखकर शुरू करें। रिटायरमेंट, बच्चे की शिक्षा, होम लोन मार्जिन, इंटरनेशनल हॉलिडे आदि जैसे टारगेट को लिखें और हर टारगेट के लिए जरूरी राशि का अनुमान लगाएं। यहीं से म्यूचुअल फंड निवेश के लिए आपकी योजना शुरू होती है।
  •  फिर अगला एक खास कदम होता है म्यूचुअल फंड का प्रकार। लंबी अवधि के टारगेट के लिए इक्विटी फंड, मध्यम अवधि के लक्ष्यों के लिए डेट फंड और छोटी अवधि के लक्ष्यों के लिए लिक्विड फंड का ऑप्शन चुनें। अगर आपको लगता है कि कुछ चीजें आप नहीं समझ पा रहे हैं तो इसके लिए किसी सलाहकार की मदद ले सकते हैं।
  •  अब आप पूछेंगे कि कौन सा म्यूचुअल फंड निवेश के लिए सबसे अच्छा है? आप पिछले प्रदर्शन के आधार पर छोटी सूची शुरू करते हैं और फिर अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर शून्य करते हैं। इसे विविधता लाने का लक्ष्य बनाएं। अपने लक्ष्यों के आधार पर, इक्विटी फंड, डेट फंड और लिक्विड फंड के बीच मिश्रण तय करें।
  •  अपनी जेब और धन की उपलब्धता के मुताबिक सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) या एकमुश्त राशि के जरिये निवेश करें।
  • जब आप कोई म्यूचुअल फंड तय कर लेते हैं तो तो निवेश की शुरुआत नो-योर-कस्टमर (केवाईसी) औपचारिकताओं से होती है, जो एक बार की प्रक्रिया है। एसबीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक, जिस भी म्यूचुअल फंड के साथ आप जुड़ना चाहते हैं, एसआईपी के लिए रजिस्टर करें। ऐसा करने से आपको एक अलॉटेड यूनिक फोलियो नंबर मिलता है। यह नंबर भविष्य के सभी ट्रांजैक्शन के संदर्भ के लिए है। अगर आप यह सब करने में खुद को सक्षम नहीं पाते हैं तो वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं। अब आपने निवेश की शुरुआत कर दी तो यहीं आपका काम खत्म नहीं हो जाता। निवेश की नियमित निगरानी जरूर करें।

म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत

  • टोटल एक्सपेंस रेशियो (टीईआर) फंड का आनुपातिक व्यय अनुपात है जो हर दिन आपके एनएवी से वसूला जाता है। आप डायरेक्ट प्लान चुनकर इस लागत को कम कर सकते हैं।
  • अगर आप किसी सलाहकार के पास जाते हैं, तो एक बार का लेनदेन शुल्क या सलाहकार शुल्क लग सकता है और इसकी अनुमति सेबी द्वारा दी जाती है।
  • इक्विटी फंड और इक्विटी हाइब्रिड फंड में लेनदेन मूल्य के 0.001% पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के अधीन हैं। यह डेट फंड पर लागू नहीं है।
  • इसके अलावा, इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड की कोई भी खरीद 0.005% स्टांप ड्यूटी के अधीन है।
  • इन लागतों के अलावा, चुनिंदा मामलों में एक्जिट लोड भी होता है और यह न्यूनतम होल्डिंग अवधि के अधीन होता है।

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