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आयकर विभाग ने बढ़ाई कर अधिकारियों द्वारा अदालतों, न्यायाधिकरणों में अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा, जानें डिटेल

अपील केवल इसलिए दायर नहीं की जानी चाहिए कि किसी मामले में कर प्रभाव निर्धारित मौद्रिक सीमा से अधिक है, बल्कि इसके बजाय मामले की योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published on: September 18, 2024 14:33 IST
आयकर विभाग- India TV Paisa
Photo:FILE आयकर विभाग

आयकर विभाग ने न्यायाधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने की न्यूनतम मौद्रिक सीमा बढ़ा दी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सर्कुलर के अनुसार, यदि विवादित कर मांग क्रमशः 60 लाख रुपये, दो करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये से अधिक है, तो कर अधिकारी आईटीएटी, उच्च 10 न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। सरकार ने 2019 में आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) में अपील दायर करने की सीमा 50 लाख रुपये, उच्च न्यायालयों में एक करोड़ रुपये और सर्वोच्च न्यायालय के लिए दो करोड़ रुपये निर्धारित की थी।

CBDT ने क्या कहा?

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने यह भी कहा कि अपील/एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दाखिल करने के संबंध में मौद्रिक सीमा टीडीएस/टीसीएस से संबंधित मामलों सहित सभी मामलों पर लागू होगी। इसमें कहा गया, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में लंबित एसएलपी/अपीलें जो निर्धारित सीमा से कम हैं, वापस ले ली जानी चाहिए। सीबीडीटी ने कहा, ‘‘ मुकदमेबाजी के प्रबंधन की दिशा में एक कदम के तौर पर बोर्ड द्वारा आयकर मामलों में अपील दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है।

मामले की योग्यता के आधार पर हो अपील

’’सर्कुलर में कहा गया, अपील केवल इसलिए दायर नहीं की जानी चाहिए कि किसी मामले में कर प्रभाव निर्धारित मौद्रिक सीमा से अधिक है, बल्कि इसके बजाय मामले की योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया, ‘‘संबंधित अधिकारियों को अपील दायर करने के संबंध में निर्णय लेते समय अनावश्यक मुकदमेबाजी को कम करने और करदाताओं को उनके आयकर आकलन के संबंध में निश्चितता प्रदान करने के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए।’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में कर न्यायाधिकरणों, उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय में प्रत्यक्ष कर, उत्पाद शुल्क व सेवा कर से संबंधित अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा को बढ़ाकर क्रमशः 60 लाख रुपये, दो करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा था। लेखा एवं परामर्श कंपनी मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि करदाताओं के लिए ये उच्च सीमाएं लंबी मुकदमेबाजी की आशंका को कम करती हैं और प्रारंभिक चरणों में त्वरित समाधान को बढ़ावा देती हैं। व्यावसायिक सलाहकार कंपनी नांगिया एंडरसन एलएलपी के साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि मौद्रिक सीमा में इस संशोधन से न्यायिक निकायों पर बोझ काफी कम हो जाएगा, जिससे बड़े कर विवादों का अधिक कुशल तरीके से निपटारा हो सकेगा।

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