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बिहार में फिर मजूबत होगी जदयू, जल्द होगा रालोसपा का विलय

सूत्रों का कहना है कि आने वाले दो हफ्तों में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रोलसपा का जदयू में विलय हो जाएगा, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी ओबीसी मतदाताओं- खासकर कोरी और कुर्मी जाति में में फिर वही पकड़ बना पाएगी, जो पहले होती थी। सूत्रों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में बड़ा पद दिया जाएगा।

Upendra Kushwaha RLSP merger with Nitish Kumar JDU soon बिहार में फिर मजूबत होगी जदयू, जल्द होगा राल- India TV Hindi Image Source : PTI बिहार में फिर मजूबत होगी जदयू, जल्द होगा रालोसपा का विलय

पटना. बिहार में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भले ही नीतीश कुमार सत्ता में लौटने में सफल रहे हो लेकिन उनकी पार्टी की स्थिति पहले की अपेक्षा काफी कमजोर है। चुनाव परिणाम के बाद सत्ता की कमान संभालते ही नीतीश कुमार एकबार फिर से संगठन को खड़ा करने में लग गए हैं और उसी दिशा में कई कदम उठा चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दो हफ्तों में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रोलसपा का जदयू में विलय हो जाएगा, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी ओबीसी मतदाताओं- खासकर कोरी और कुर्मी जाति में में फिर वही पकड़ बना पाएगी, जो पहले होती थी। सूत्रों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में बड़ा पद दिया जाएगा।

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, कुशवाहा और जद (यू) के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह कई बार मिल चुके हैं। वो हाल ही में दिल्ली में विलय के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए भी मिले थे। इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने आरएलएसपी के एक सूत्र ने हवाले से बताया कि बशिष्ठ नारायण सिंह नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच संवाद का मुख्य माध्यम रहा है।

उपेंद्र कुशवाहा ने मार्च 2013 में RLSP का गठन किया था और पार्टी ने 2014 में लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक के रूप में लड़ी गई तीनों लोकसभा सीटें जीती थीं लेकिन उसने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में राजद के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा था। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा भले ही कोई भी विधानसभा सीट न जीत पाई हो लेकिन उसने खगड़िया, बेगूसराय, सारण, वैशाली, गया और आरा में कम से कम 10-15 सीटों पर जदयू की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया। यह 30-विषम सीटों में 5,000 से लगभग 40,000 वोट पाने में सफल रही।

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इंडियन एक्सप्रेस को जद (यू) के एक सूत्र ने कहा, "शुरू में, उपेंद्र कुशवाहा को एमएलसी और मंत्री बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह संगठन में महत्वपूर्ण स्थान पाने के इच्छुक हैं।" एक अन्य सूत्र ने कहा कि चुनाव में रालोसपा का खाता नहीं खुला था, उपेंद्र कुशवाहा भी हाशिए पर चल रहे थे, ऐसे में उन्हें जिंदा रहने के लिए नीतीश कुमार के सहारे की जरूरत थी। आपको बता दें कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू महज 43 सीट जीत सकी थी। बिहार में सबसे ज्यादा सीटें राजद (75 सीटें) और फिर भाजपा (74 सीटें) ने जीती थीं।

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