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Hindi News क्राइम दुष्कर्म के मामलों की जांच 2 महीने में पूरी करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

दुष्कर्म के मामलों की जांच 2 महीने में पूरी करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि जांच अधिकारियों को समय-समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है।

Allahabad High Court, Allahabad High Court Rape, Investigation Of Rape Cases In 2 Months- India TV Hindi Image Source : PTI FILE इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के मामलों की जांच 2 महीने में पूरी करने का निर्देश दिया।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि सरकार CRPC के संशोधित प्रावधानों के मुताबिक रेप के मामलों की जांच 2 महीने में पूरी करने का अपने अधिकारियों को निर्देश दे। मैनपुरी में एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु के मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति ए. के. ओझा की पीठ ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों को मैनपुरी की 16 वर्षीय छात्रा की मृत्यु की जांच में प्रगति से अदालत को अवगत कराने का भी निर्देश दिया।

स्कूल में मिला था छात्रा का शव
छात्रा का शव 2019 में उसके स्कूल में संदिग्ध परिस्थियों में मिला था। परिजनों का आरोप है कि लड़की के साथ रेप कर उसकी हत्या की गई। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस अधिकारी अवश्य सुनिश्चित करें कि जांच के दौरान उस लड़की के परिजनों पर दबाव ना बनाया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अदालत ने पुलिस महानिदेशक को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी। जनहित याचिका दायर करने वाले महेंद्र प्रताप सिंह ने आरोप लगाया है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही, बल्कि आरोपियों को बचा रही है। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी भी स्वतंत्र जांच नहीं कर रही।

‘मामले की जांच करे लिए SIT गठित’
अदालत में गुरुवार को भी मौजूद रहे डीजीपी ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए नई SIT गठित की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने अदालत से इस मामले पर नजर रखने का अनुरोध किया। बार के अनुरोध पर विचार करते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को एक महीना बीतने पर इस मामले की जांच में हुई प्रगति से अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई एक महीना पूरा होने पर करने का निर्देश दिया।

अदालत ने दोष सिद्धि की कम दर पर चिंता जताई
सुनवाई के दौरान, अदालत ने देश में अपराधियों का दोष सिद्ध होने की खराब दर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, हम इस तथ्य से परिचित हैं कि भारत में दोष सिद्धि की दर महज 6 प्रतिशत से थोड़ी अधिक है। इसका कारण पुलिस द्वारा खराब जांच या जांच में छेड़छाड़ है। अदालत ने कहा, ज्यादातर समय वैज्ञानिक ढंग से साक्ष्य एकत्रित नहीं किए जाते और इसलिए विशेषज्ञ किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रहते हैं जिससे ज्यादातर मामलों में आरोपी व्यक्ति बरी हो जाते हैं।

जांच अधिकारी को समय-समय पर ट्रेनिंग देना जरूरी
अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि जांच अधिकारियों को समय-समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है ताकि उन्हें सिखाया जा सके कि ऐसे मामलों की जांच कैसे करें और वैज्ञानिक ढंग से साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाएं। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले की शुरुआती जांच में शामिल एएसपी और डीएसपी को निलंबित किया जा चुका है। मामले की नए सिरे से जांच के लिए नई SIT गठित की गई है।

‘मौत से एक दिन पहले लड़की ने मां को किया फोन’
सुनवाई के दौरान कोर्ट का सहयोग करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि उस लड़की की मां ने FIR में आरोप लगाया है कि उसकी लड़की यह शिकायत किया करती थी कि उसे स्कूल के कुछ राज पता हैं और इसी वजह से स्कूल की प्रिंसिपल उसका उत्पीड़न कर रही थीं। सिंह ने बताया कि उस लड़की ने अपनी मौत से महज एक दिन पहले अपनी मां को फोन पर बताया था कि उसे जान से मारने की धमकी मिल रही है, लेकिन जब परिजनों ने प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इसे अनसुना कर दिया। इस पर कोर्ट ने सुझाव दिया कि जांच अधिकारी संबंधित फोन नंबरों के कॉल विवरण एकत्रित करें जो साक्ष्य हो सकते हैं। (भाषा)

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