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Hindi News दिल्ली 18 महीने की माहिरा ने दो लोगों को दी नई जिंदगी, मौत के बाद किए अंगदान

18 महीने की माहिरा ने दो लोगों को दी नई जिंदगी, मौत के बाद किए अंगदान

माहिरा अंगदान करने वाली Delhi-NCR की दूसरी सबसे छोटी डोनर है। इससे पहले 16 महीने के रिशांत का अंगदान हो चुका है।

माहिरा अंगदान करने वाली Delhi-NCR की दूसरी सबसे छोटी डोनर है।- India TV Hindi Image Source : ANI माहिरा अंगदान करने वाली Delhi-NCR की दूसरी सबसे छोटी डोनर है।

नई दिल्ली: हरियाणा के मेवात में जन्मीं 18 महीने की छोटी बच्ची माहिरा के अंगदान से दो लोगों को नई जिंदगी मिलेगी। बता दें कि माहिरा घर में खेलते वक्त बालकनी से गिर गई थी। जिसके बाद उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया लेकिन डॉक्टरों के लाख कोशिश के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका और वह ब्रेन डेड हो गई। माहिरा अंगदान करने वाली Delhi-NCR की दूसरी सबसे छोटी डोनर है। इससे पहले 16 महीने के रिशांत का अंगदान हो चुका है। माहिरा के माता-पिता ने जब 5 साल की रोली के अंगदान की कहानी सुनी तो उन्होंने माहिरा के भी अंगदान का फैसला किया। 

जाते-जाते दे गई दो लोगों को नई जिंदगी

माहिरा का लीवर ILBS अस्पताल में 6 साल के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया तो वहीं उसकी दोनों किडनी एम्स में भर्ती एक 17 साल के किशोर को लगाई गई। चूंकि माहिरा एक छोटी बच्ची थी इसलिए उसकी दोनो किडनी एक ही व्यक्ति को लगाई गई। इतना ही नहीं माहिरा के दोनों कॉर्निया और हार्ट वॉल्व को सुरक्षित रख लिया गया है। यह कॉर्निया जिन दो लोगों को भी लगाया जाएगा, वे फिर से दुनिया देख पाएंगे। इस साल अब तक दिल्ली एम्स में कुल 14 अंगदान हो चुके हैं। इससे 50 से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है। यह अब तक एम्स के अंगदान प्रोग्राम की सबसे बड़ी संख्या है।  

अंगदान जरूर करें

Image Source : INDIATVअंगदान (फाइल फोटो)

अंगदान को लेकर भारत में हुए सर्वे के मुताबिक, हर साल 5 लाख लोगों की मौत अंग उपलब्ध नहीं होने की वजह से हो जाती है। 2 लाख लोग लिवर खराब होने और 50 हजार लोग दिल की बीमारी के कारण मर जाते हैं। वहीं डेढ़ लाख लोग किडनी के इंतजार में रह जाते हैं लेकिन मिलती सिर्फ 5 हजार लोगों को ही है। ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट और उसके लिए जागरूकता फैलाने से कई लोगों की जान बच सकती है। 

ऐसे करें अंगदान 

भारत में अंगदाता बनने के लिए आपको इन बातों का पता होना जरूरी है। AIIMS के गाइडलाईन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति दो तरीकों से डोनर बन सकता है। पहला तब जब वह जीवित हो और अपने अंगों को दान करने का फैसला ले और दूसरा तब जब उसकी मौत के बाद उसके परिजन मृतक के अंगदान के लिए फैसला करें। 

स्टेप बाय स्टेप ऑर्गन डोनर बनने की पूरी प्रक्रिया

1 डोनर फॉर्म डाउनलोड करें

यदि आपको अपना अंग दान करना है तो सबसे पहले आपको ऑफिशियल वेबसाइट से डोनर फॉर्म डाउनलोड करना होगा। ऑर्गन डोनर बनने की अनुमति देने वाली कुछ वेबसाइट्स हैं। जैसे- नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यूड ट्रांसप्‍लांट (NOTTO), रीजनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (ROTTO), सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट्स, मुंबई के केईएम हॉस्पिटल, ओमनादुरार, चेन्नई के गवर्नमेंट मल्टी स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, कोलकाता के इंस्टिट्यूट ऑफ पीजी मेडिकल एज्युकेशन एण्ड रिसर्च और असम के गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, आदि द्वारा यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

2 ऑर्गन/ बॉडी डोनेशन फॉर्म भरें

फॉर्म डाउनलोड करने के बाद फॉर्म को भरें। इसके बाद आपको डोनर फॉर्म पर दो गवाहों के हस्ताक्षर कराने होंगे, जिनमें से एक आपका करीबी रिश्तेदार होना चाहिए।

3 डोनर कार्ड जरूर लें

आपका आवेदन स्वीकार होने के बाद आपके आधिकारिक पते पर एक रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ डोनर कार्ड भेजा जाएगा।

4 अपंजीकृत दान भी है विकल्प

अस्पताल अपंजीकृत दान भी स्वीकार करता है, यदि व्यक्ति डोनर बनने के लिए साइन अप किए बिना मर जाए। इस मामले में परिवार का एक सदस्य मरे हुए व्यक्ति के अंगों का दान करने का फैसला एक सहमति-प्रपत्र (कंसेन्ट फॉर्म) पर हस्ताक्षर करके ले सकता है।

डोनर बनने के फैसले के बारे मेंअपने परिजनों और मित्रों को ज़रूर बताएं