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Hindi News दिल्ली एमसीडी डॉक्टरों को वेतन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कहा: युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते हैं

एमसीडी डॉक्टरों को वेतन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, कहा: युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते हैं

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज शुक्रवार को दिल्ली में एमसीडी डॉक्टरों के लंबित वेतन को अंतरिम जारी करने का आदेश दिया।

Delhi High Court asks North DMC to pay its resident doctors' salary- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Delhi High Court asks North DMC to pay its resident doctors' salary

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज शुक्रवार को दिल्ली में एमसीडी डॉक्टरों के लंबित वेतन को अंतरिम जारी करने का आदेश दिया। पिछले 3 महीनों से एमसीडी के डॉक्टरों को वेतन न देने से संबंधित एक रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस भी जारी किया है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नही होने पर कड़ा रूख अपनाते हुये उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा, 'युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिये। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये।'

न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये डाकटरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। 

पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। पीठ ने कहा, 'हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डाक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमे न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए।' न्यायालय इस संबंध में एक डाक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था । इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है। इस चिकित्सक ने 14 दिन के पृथकवास की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केन्द्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाये थे। 

पीठ ने कहा, 'युद्ध में, आप सैनिकों को नाराज नहीं करते। थोड़ा आगे बढ़िये और शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये। कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता।' केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जायेगा। पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा। आप सुनिश्चित कीजिये कि उनकी चिंताओं का समाधान हो।

न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दिया है। केन्द्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुये निकट भविष्य में उनके लिये बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा। केन्द्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केन्द्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का पृथकवास अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है