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Hindi News गुजरात भारत को वेदों और संस्कृत का ज्ञान जरूरी, मोहन भागवत बोले- हमारी संस्कृति रुढ़िवादी नहीं

भारत को वेदों और संस्कृत का ज्ञान जरूरी, मोहन भागवत बोले- हमारी संस्कृति रुढ़िवादी नहीं

हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है जो हमसे यह कहे कि क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए। बता दें कि मोहन भागवत यहां मुदेती गांव में श्री भगवान याज्ञवलक्य वेदतत्वज्ञान योगाश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वेद संस्कृत ज्ञान गौरव समारोह में भाग लेने आए थे।

India needs knowledge of Vedas and Sanskrit Mohan Bhagwat said our culture is not orthodox- India TV Hindi Image Source : PTI मोहन भागवत बोले- हमारी संस्कृति रुढ़िवादी नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार गुजरात के साबरकांठा में कहा कि विश्वगुरु बनने के लिए भारत को वेदों के ज्ञान और प्राचीन भाषा संस्कृत को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति समय के साथ बदलती रहती है। हमारी संस्कृति रुढ़िवादी नहीं है। हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है जो हमसे यह कहे कि क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए। बता दें कि मोहन भागवत यहां मुदेती गांव में श्री भगवान याज्ञवलक्य वेदतत्वज्ञान योगाश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वेद संस्कृत ज्ञान गौरव समारोह में  भाग लेने आए थे। 

संस्कृत को महत्व देना जरूरी

मोहन भागवत ने इस दौरान कहा कि भारत का निर्माण वेदों के मूल्य पर हुआ है। इसका हमने पीढ़ी दर पीढ़ी अनुसरण किया है। इसलिए आज के भारत को प्रगति करनी होगी। उन्होंने कहा कि हमें प्रगति करना होगा लेकिन अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्ति नहीं बनना है। हम एक ऐसा देश बनना है जो विश्व की समस्याओं का समाधान दे सके। हमें एक ऐसा देश बनाना है जिसके जरिए दुनियाभर में शांति, प्रेम और समृद्धि की राह दिखा सके। संघ प्रमुख ने कहा कि विजय का मतलब धर्म विजय है। यही कारण है कि ज्ञान या वेद विज्ञान और संस्कृति को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। संस्कृत में सभी ज्ञान है। इस कारण हमें संस्कृत को महत्व देना बहुत जरूरी है। 

मोहन भागवत बोले- भारत के पास शक्ति

संस्कृत को लेकर उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी मातृभाषा बोलना जानते हैं तो हम 40 फीसदी संस्कृत सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसी को संगीत और संस्कृत का ज्ञान है तो यह विज्ञान और गणित को आसानी से सीखने में मदद हो सकती है। रूस और यूक्रेन युद्ध पर उन्होंने भारत के रुख की सराहना की। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों देश यही चाहते हैं कि भारत उनका पक्ष ले। लेकिन भारत ने अपना रुख कायम रखा है क्योंकि दोनों ही मित्र देश हैं। इसलिए अब हम पक्ष नहीं लेंगे। आज के समय में भारत को विश्व की महाशक्तियों को यह कहने की हिम्मत है। इसका कभी अतीत में अभाव था। 

(इनपुट-भाषा)