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Hindi News गुजरात Lok Sabha Election 2024: सूरत सीट के कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ एक्शन, पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित; जानें क्या कहा

Lok Sabha Election 2024: सूरत सीट के कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ एक्शन, पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित; जानें क्या कहा

कांग्रेस पार्टी ने सूरत लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी नीलेश कुम्भाणी के खिलाफ अब एक्शन लिया है। कांग्रेस ने नीलेश कुम्भाणी को पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है।

 कांग्रेस ने नीलेश कुम्भाणी को किया निलंबित।- India TV Hindi Image Source : FILE/NILESH KUMBHANI (FB) कांग्रेस ने नीलेश कुम्भाणी को किया निलंबित।

सूरत: गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को निर्विरोध विजेता चुन लिया गया। दरअसल, इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने और अन्य प्रत्याशियों द्वारा पर्चा वापस लेने के बाद भाजपा प्रत्याशी को विजेता घोषित किया गया। वहीं अब कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। कांग्रेस की गुजरात इकाई ने सूरत लोकसभा सीट के प्रत्याशी रहे नीलेश कुम्भाणी को शुक्रवार को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया।

अनुशासन समिति ने लिया फैसला

कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि पार्टी की अनुशासन समिति ने गहन चर्चा के बाद कुम्भाणी को निलंबित करने का फैसला किया है। साथ ही यह भी बताया कि पार्टी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि नामांकन पत्र उनकी घोर लापरवाही या ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से उनकी मिलीभगत’’ के कारण रद्द हुआ। बाबू पटेल की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की अनुशासन समिति ने कहा कि ‘‘आपके प्रति निष्पक्ष रहते हुए हमने पूरा मामला समझाने के लिए आपको भरपूर समय दिया है, लेकिन पार्टी अनुशासन समिति के सामने आने के बजाय आप संपर्क से बाहर रहे। अधिकारियों द्वारा आपका फॉर्म खारिज किये जाने के बाद भाजपा ने अन्य आठ नामांकन पत्र भी वापस करवा लिए। इससे सूरत के लोग अपने मताधिकार से वंचित हो गए हैं।’’ 

पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘‘आपकी इस हरकत से सूरत की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है और अलग-अलग तरीके से अपना गुस्सा प्रकट कर रहे हैं। कांग्रेस ने आपको 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित करने का फैसला किया है।’’ बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुम्भाणी का नामांकन पत्र 21 अप्रैल को खारिज कर दिया गया था, क्योंकि उनके तीन प्रस्तावकों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को हलफनामा देकर दावा किया था कि दस्तावेज पर हस्ताक्षर उनके नहीं थे। (इनपुट- भाषा)

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