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गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने बनाया नया संगठन, कुछ ही दिन पहले BJP में गया बेटा

गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने एक नया संगठन बनाया है। छोटू वसावा ने कहा कि उनका संगठन, जिसका नाम भारत आदिवासी संविधान सेना (BASS) है, राजनीतिक नहीं बल्कि एक सामाजिक संगठन है।

Chhotu Vasava- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO छोटू वसावा ने बनाया एक नया संगठन

गुजरात के प्रमुख आदिवासी नेता छोटू वसावा ने कहा कि उन्होंने देश की आदिवासी आबादी के अधिकारों के लिए लड़ने के उद्देश्य से एक नया संगठन बनाया है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही छोटू वसावा के पुत्र और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के अध्यक्ष महेश वसावा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए हैं। इस दौरान बीटीपी संस्थापक छोटू वसावा ने बताया कि उनका नया संगठन राजनीतिक नहीं बल्कि एक सामाजिक संगठन है, जिसका नाम भारत आदिवासी संविधान सेना (BASS) है। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही घोषणा करेंगे कि वह किस बैनर के तले आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। 

बेटे के BJP में जाने पर क्या कहा?

वहीं इस दौरान अपने बेटे महेश वसावा के बीजेपी में शामिल होने पर नाराजगी जताते हुए छोटू वसावा ने कहा कि समुदाय उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा जिन्होंने पैसे और सत्ता के लालच में उसे धोखा दिया है। वहीं वसावा के सहयोगी अंबालाल जाधव ने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी के नेता शुक्रवार को वसावा से मुलाकात कर लोकसभा चुनाव पर आगे की कार्रवाई के बारे में चर्चा करेंगे। बता दें कि बीएपी ने साल 2023 में विधानसभा चुनाव में राजस्थान में तीन और मध्य प्रदेश में एक सीट जीती थी। 

जल्द ही चुनाव लड़ने पर करेंगे फैसला

अंबालाल जाधव ने कहा, "बीएपी के राजस्थान से 3 विधायक और मध्य प्रदेश से एक सांसद शुक्रवार को छोटू वसावा से मुलाकात करेंगे। हम चुनाव लड़ने पर भी फैसला करेंगे।" वसावा के छोटे बेटे दिलीप वसावा बीएपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बीटीपी की स्थापना वसावा ने की थी और उनके बड़े बेटे महेश वसावा इसका नेतृत्व करते थे, लेकिन वह 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। 

"आदिवासी हितों के लिए किया BASS का गठन"

बता दें कि छोटू वसावा ने 2004 और 2009 में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के रूप में और 2014 में बीटीपी उम्मीदवार के रूप में भरूच सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा कि उनके नए संगठन बीएएसएस का गठन आदिवासी आबादी के हितों की रक्षा के लिए और उनके खिलाफ काम करने वाली ताकतों का मुकाबला करने के लिए किया गया है। 

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