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Hindi News गुजरात Death Controversy: पोस्टमॉर्टम से खु​लासा- हार्ट अटैक नहीं, फांसी के चलते हुई थी गुनातीत स्वामी की मृत्यु

Death Controversy: पोस्टमॉर्टम से खु​लासा- हार्ट अटैक नहीं, फांसी के चलते हुई थी गुनातीत स्वामी की मृत्यु

बड़ोदरा पुलिस को पहले जो एक सामान्य मौत दिखाई दे रही थी, पोस्टमार्टम के बाद वही घटना हत्या या आत्महत्या नजर आ रही है।

Death Controversy- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Death Controversy

Death Controversy: वडोदरा के सोखड़ा हरिधाम के एक प्रमुख संत की मौत की गुत्थी कुछ इस तरह से उलझी है कि मंदिर ट्रस्ट के साथ-साथ पुलिस भी यह सोचने को मजबूर हो गई है कि आखिरकार माजरा क्या है। सोखड़ा हरीधाम के गुनातीत स्वामी की मौत के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। बड़ोदरा पुलिस को पहले जो एक सामान्य मौत दिखाई दे रही थी, पोस्टमार्टम के बाद वही घटना हत्या या आत्महत्या नजर आ रही है।

गुनातीत स्वामी की मौत के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल स्वामीजी की हार्ट अटैक से मृत्यु होने के समाचार के बिलकुल विपरीत स्वामीजी की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि आत्महत्या के कारण होने का खुलासा हुआ है। दरअसल कई हरिभक्तों के स्वामीजी की मृत्यु के बारे में शंका व्यक्त करने पर स्वामीजी की अंतिम क्रिया रोक दी गई थी और उनके पार्थिव देह को वडोदरा की सयाजीराव अस्पताल में भेजा गया था। अस्पताल में स्वामीजी के पार्थिव देह का पोस्टमोर्टम किया गया, जिसमें सामने आया कि उनकी मृत्यु फांसी के चलते हुई थी। 

पुलिस ने जब्त किए सीसीटीवी फुटेज 

बुधवार को आश्रम के अंदर कि स्वामीजी की इस तरह से अचानक मृत्यु के चलते हरिभक्तों ने डीएसपी को आवेदन किया था। जिसके चलते पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की थी और इसी जांच में उनकी मृत्यु के बारे में यह बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस द्वारा स्वामीजी के कमरे के बाहर के सीसीटीवी फुटेज भी जब्त किए गए थे। जिससे की इसके पीछे कोई आपराधिक षड्यंत्र है या नहीं, इसका पता लगाया जा सके।

रिपोर्ट से गले में चोट के निशान होने का खुलासा

पुलिस द्वारा आत्महत्या के मामले में प्रभु प्रिय स्वामी, गुनातीत स्वामी के परिजन तथा मंदिर के सेवकों से पूछताछ शुरू की है। जिसमें सामने आया कि वह पिछले कई समय से डिप्रेशन में थे और कई बार भगवा वस्त्र त्याग कर संसार में वापिस आने का निर्देश दे रहे थे। गुनातीत स्वामी ने साल 1979 में दीक्षा ली थी। स्वभाव से सरल तथा भक्तिभाव में मानने वाले स्वामीजी हमेशा ही लोगों की सेवा को प्राथमिकता देते थे। रिपोर्ट में उनके गले पर चोट के निशान होने का खुलासा हुआ है। जिससे आत्महत्या या हत्या की आशंका जताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक कमरे में जेड आकार के हुक से भगवा कपड़े का फंदे में संत गुनातीत का शव लटका मिला था। पुलिस ने प्रभुप्रियस्वामी समेत 4 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। 

जानिए मंदिर ट्रस्ट ने क्यों आनन-फानन में करना चाहता था अंतिम संस्कार

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संतों ने पहले गुनातीत स्वामी की मौत को प्राकृतिक मौत बताई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने इस मामले में तुरंत पुलिस को भी सूचित नहीं किया था। इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट आनन-फानन में स्वामी जी के अंतिम संस्कार कर देना चाहता था लेकिन फंदे पर लटकने से मौत का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होने पर वे बयान से पलट गए। संतों ने बयान में बताया कि गुणातीत स्वामी की मौत फंदे पर होने का खुलासा होने पर ऐसा समाचार बाहर नहीं जाने देने के लिए परिजनों की अपील पर पुलिस को सूचित नहीं किया।

'दरवाजा खोला तो फंदे पर स्वामीजी को झूलते देखा'

हरिधाम के प्रभुप्रिय स्वामी ने बयान में बताया कि वे दवा लेने पहुंचे तब दरवाजा भीतर से बंद था। चाबी से दरवाजा खोलने पर गुणातीत स्वामी को फंदे पर झूलते देखा। उसके बाद उन्होंने हरिधाम मंदिर के संतों को जानकारी दी। एक अन्य संत की मदद से उन्होंने गुणातीत स्वामी को फंदे से नीचे उतारा। मंदिर के एक चिकित्सक अशोक महेता को बुलाने पर उन्होंने गुणातीत स्वामी को मृत घोषित किया था। 

दो गुटों में थी वर्चस्व की लड़ाई

यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि इस मंदिर में वर्चस्व की लड़ाई पिछले कई समय से चल रही थी। इन दिनों मंदिर में दो गुट बने हुए थे। एक प्रेम स्वरूप स्वामी का था तो वहीं दूसरा गुट प्रबोध स्वामी का था। इसके चलते मंदिर पहले से ही सुर्खियों में था क्योंकि सोखड़ा स्वामीनारायण संप्रदाय के दो गुट संप्रदाय के संस्थापक स्वर्गीय स्वामी हरिप्रसाद की मौत के बाद एक कड़वे सत्ता संघर्ष में एक दूसरे को पछाड़ने में लगे थे। 

हरिप्रसाद की मृत्यु के बाद संप्रदाय के मामलों को संभालने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। लेकिन उत्तराधिकार के संबंध में किए जा रहे दावों और प्रतिवादों के साथ वहां सत्ता संघर्ष समाप्त नहीं हुआ। स्वामी प्रेमस्वरुपदास और स्वामी प्रबोधजीवन पिछले महीने जिला कलेक्ट्रेट में धरना-प्रदर्शन में भी शामिल थे। 

स्वामी प्रबोधजीवन के अनुयायी यह आरोप लगाते रहे हैं कि स्वामी प्रेमस्वरुपदास ऐसी कोई व्यवस्था न होने पर भी स्वयं को स्वर्गीय स्वामी हरिप्रसाद का उत्तराधिकारी कहते रहे हैं। जबकि प्रेम स्वरूप स्वामी के भक्तों का आरोप था कि उन्हें आध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा नहीं लेने दिया जाता। मामला गुजरात उच्च न्यायालय तक भी पहुंच गया था। इसी बीच गुनातीत स्वामी की रहस्यमई मौत ने और भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।