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Hindi News हेल्थ Coronavirus LIVE: ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है: रणदीप गुलेरिया

Coronavirus LIVE: ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है: रणदीप गुलेरिया

देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे में उनका कैसे ख्याल रखना है, जानिए।

Coronavirus live updates in hindi covid19 third wave children black fungus vaccination latest news- India TV Hindi Image Source : PEXELS.COM Coronavirus LIVE: कोविड संक्रमण के दौरान बच्चों की ऐसे करें देखभाल   

देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही है। इसके साथ ही अब ब्लैक फंगस भी अपना कहर बरपा रहा है। तीसरी लहर की भी चर्चा हो रही है, जो बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। इस बीच सोशल मीडिया पर कोरोना से संबंधित कई चीजें वायरल हो रही हैं। आइये जानते हैं इससे जुड़ी खास जानकारियां...

 

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Live updates : Coronavirus live updates in hindi health

  • 9:14 PM (IST) Posted by Himanshu Tiwari

    इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव 'जीतेगा इंडिया, हारेगा कोरोना' में दिल्ली स्थित AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामलों पर बात करते हुए इस बीमारी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस का अगर समय पर इलाज न किया जाए और यह शरीर में ज्यादा फैल जाए तो इसकी मृत्यु दर कोरोना वायरस संक्रमण की मृत्यु दर से ज्यादा है।

    ब्लैक फंगस को अपने शरीर में कैसे डिटेक्ट करें?

    डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि जिनको भी शुगर की बीमारी है वह लगातार अपनी शुगर को कंट्रोल करते रहें। अगर आप कोविड पॉजिटिव हैं तो डॉक्टर की सलाह से ही स्टेरॉयड लें। सिर में दर्द, जो ठीक नहीं हो रही हो, नाक से खून आना, चेहरे के किसी एक भाग में सूजन आना, धुंधला दिखना, कभी कभी बुखार आना या खांसी के साथ खून आना भी इसके लक्ष्ण हैं।

    छूने से फैलता है ब्लैक फंगस?

    डॉ गुलेरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। लेकिन, इस बीमारी को ठीक करने में ज्यादा समय लगता है जबकि कोरोना के उपचार में इतना समय नहीं लगता।

  • 8:59 PM (IST) Posted by Himanshu Tiwari

    दूसरी लहर की स्थिति में आया है सुधार, रिकवरी में आई है तेजी: डॉ वीके पॉल 

    इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव 'जीतेगा इंडिया, हारेगा कोरोना' में नीति आयोग के सदस्य और कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ वीके पॉल ने कहा कि पहले के मुकाबले देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर की स्थिति बेहतर है। उन्होंने कहा, "दूसरी लहर की स्थिति में अब पहले से सुधार है, इसमें शक नहीं है। मामले लगातार कम हो रहे हैं, मृत्यु दर में भी अब कमी आने लगी है और रिकवरी तेजी से बढ़ी है। यह सब संकेत हैं कि महामारी का असर अब कम हो रहा है। जिन राज्यों में हालात ज्यादा खराब थे वहां अब स्थिति स्थिर हो रही है। लेकिन, अभी कुछ राज्यों में स्थिति बेहतर होने में समय लगेगा। जिन प्रयासों से स्थिति में सुधार हुआ है उन्हें आगे भी बढ़ाए रखना होगा।"

  • 2:30 PM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना के 2.4 लाख नए मामले

    भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना के 2,40,842 नए मामले सामने आए, जोकि 21 अप्रैल के बाद इस महामारी से संक्रमण के सबसे कम दैनिक मामले हैं। वहीं इस दौरान 3741 लोगों की इस महामारी से मौत हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह जानकारी दी। भारत में कोविड -19 मामलों की कुल संख्या अब 2,65,30,132 हो गई है, जिसमें सक्रिय मामले 28,05,399 हैं और अबतक 2,99,266 लोगों की मौत हुई है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कुल 3,55,102 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी गई है। वहीं अब तक 2,34,25,467 लोग कोविड से ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में अब तक कुल 19,50,04,184 लोगों को टीका लगाया गया है, जिनमें 16,04,542 लोगों को पिछले 24 घंटों में टीका लगाया गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 22 मई तक कोविड-19 के लिए 32,86,07,937 नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। इनमें से 21,23,782 नमूनों की शनिवार को जांच की गई।

    (IANS) 

  • 11:27 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में अब 18-44 आयु वर्ग के लोगों का एक जून से टीकाकरण

    उत्तर प्रदेश में एक जून से सभी जिला मुख्यालयों में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों का कोविड टीकाकरण किया जाएगा। राज्‍य सरकार के प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अगले चरण में आगामी एक जून से सभी जिला मुख्यालयों पर 18-44 आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किये जाने का निर्देश दिया है। प्रवक्ता ने कहा कि कोविड से बचाव के मद्देनजर टीकाकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है और वर्तमान में प्रदेश के 23 जिलों में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा है। राज्‍य सरकार ने एक मई से 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए पहले चरण में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ और बरेली जिले में टीकाकरण अभियान शुरू किया। इसके बाद दूसरे चरण में 10 मई से राज्य के सभी नगर निगम वाले 17 जिला मुख्यालयों समेत गौतमबुद्ध नगर जिले (कुल 18 जिले) में टीकाकरण शुरू किया और तीसरे चरण में इसे 23 जिलों में विस्‍त‍ारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने अब प्रदेश के सभी जिलों में 18-44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के निर्देश दिये हैं। सरकारी बयान के अनुसार राज्‍य के सभी जिलों में 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है और शनिवार तक कोविड टीके की 1 करोड़ 62 लाख से अधिक खुराक दी जा चुकी है।  

    (PTI)

  • 9:23 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    स्तनपान कराने वाली महिलाएं बिना घबराएं कोरोना का टीका लगवा सकती हैं, इसके लिए बच्चे का स्तनपान रोकने की जरूरत नहीं है। - डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य, स्वास्थ्य, नीति आयोग

  • 7:15 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    बच्चों तथा किशोरों में अस्थायी रुप से कोविड-19 से संबंधित एमआईएस के प्रबंधन के लिए क्या हैं दिशानिर्देश। #IndiaFightsCorona

  • 7:15 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    बच्चों तथा किशोरों में अस्थायी रुप से कोविड-19 से संबंधित एमआईएस के प्रबंधन के लिए क्या हैं दिशानिर्देश और उनके उपचार के लिए किन बातों का रखना होगा ध्यान।

  • 7:14 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    बच्चों में कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों के लिए क्या हैं दिशानिर्देश:

    बच्चे में सेप्टिक शॉक या मायोकॉर्डियल डिसफंक्शन होने की स्थिति में:

    क्रिस्लॉयड बोलस का इस्तेमाल: 10 से 20 एमएल/किलो 30 से 60 मिनट तक, यदि हृदय संबंधी समस्या है तो सावधान रहें।

    शॉक के किसी अन्य कारणों की तरह समय पर एंट्रोप सपोर्ट के साथ फ्लूएड ओवरलोड की निगरानी।

    अंग विफल होने की स्थिति में बच्चे को ऑर्गन सपोर्ट की जरूरत हो सकती है, जैसे - रेनल रिप्लेसमेंट थेरेपी

    एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) की स्थिति में देखभाल व उपचार:

    हल्के एआरडीएस की स्थिति में: नाक से हाई फ्लो ऑक्सीजन, नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन दिया जा सकता है।

    गंभीर एआरडीएस: मैकेनिकल वेंटिलेशन कम टाइडल वॉल्यूम के साथ दिया जा सकता है।

    यदि बच्चे में उपचार से सुधार नहीं होता है तो (अगर उपलब्ध हो तो) हाई फ्रीक्वेंसी ऑसिलेटरी वेंटिलेशन, एक्सट्राकोर्पोरियल मेब्रेन ऑक्सीजनेशन पर विचार किया जा सकता है।

    हाइपोक्सेमिक बच्चों में अवेक प्रोन पोजीशन पर विचार किया जा सकता है, अगर वो उसे सहन कर सकता है। 

    90 प्रतिशत से कम SpO2 लेवल वाले बच्चों को गंभीर कोविड-19 मरीज के रूप में चिन्हित किया जाएगा

    • इनमें गंभीर निमोनिया हो सकता है। 
    • इन बच्चों में ग्रंटिंग, सीने में तकलीफ, सुस्ती, अत्यधिक नींद, दौरे की दिक्कत हो सकती है।
    • इन बच्चों को समर्पित कोविड अस्पताल/तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सुविधा में भर्ती किया जाना चाहिए। 
    • निम्न स्थितियों में कुछ बच्चों को एचडीयू/आईसीयू की जरुरत हो सकती है। 

  • 7:07 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    कोरोना के मध्यम लक्षण की स्थिति में होम आइसोलेशन के दौरान किन बातों का रखें ध्यान:

    बच्चे को ये दिया जा सकता है:

    बुखार के लिए पैरासिटामोल 10-15 एमजी/किलो/डोज। हर 4-6 घंटे में दिया जा सकता है। (तापमान> 38 डिग्री सेल्सियस यानी 100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा)

    अगर बैक्टीरियल इंफेक्शन हो या इसका प्रबल संदेह हो तो एमोक्सिलिन दिया जा सकता है।

    94 प्रतिशत से कम SPO2 होने पर ऑक्सीजन के पूरक की जरूरत होगी।

    बीमारी बढ़ने की दशा में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, हल्के बीमारी की स्थिति में सभी बच्चों को देने की जरुरत नहीं, विशेषकर बीमारी के शुरुआती दिनों में।

    पहले से कोई बीमारी होने पर सहायक उपचार। 

    जांच: पहले से किसी रोग से ग्रस्त न होने पर किसी भी लैब टेस्ट की जरूरत नहीं है। 

    उपचार: समर्पित कोविड हेल्थ सेंटर या सेकेंडरी लेवल के स्वास्थ्य सुविधा में भर्ती होना होगा और नैदानिक प्रगति के लिए निगरानी की जाएगी।

    • तरल तथा इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखें। 
    • ओरल फीड के लिए प्रोत्साहित करें (शिशुओं के लिए मां का दूध)
    • अगर मुंह से भोजन न हो रहा हो तो फ्लूएड थेरेपी शुरू किया जाना चाहिए।

  • 7:00 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    बच्चों में क्लीनिकल फीचर्स: 

    कोविड से संक्रमित अधिकांश बच्चों में कोई लक्षण या हल्के लक्षण हो सकते हैं। 
    - सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस फूलना/सांस लेने में तकलीफ, थकान, बदन दर्द, नाक बहना, गले में खराफ, स्वाद या गंध न आना आदि शामिल हैं। 

    कुछ बच्चों में पेट और आंत संबंधी (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) परेशानी औरअन्य आसामान्य लक्षण हो सकते हैं।

    बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फलेमेटरी सिंड्रोम नाम का एक नया सिंड्रोम देखा जा रहा है। इसके लक्षण हैं:

    • निरंतर बुखार > 38 डिग्री सेल्सियस
    • SARS COV-2 महामारी से संबंधित
    • मल्टी सिस्टम इन्फलेमेटरी सिंड्रोम के क्लीनिकल फीचर 

    बच्चों में लक्षणविहीन और हल्के मामले:

    संक्रमित परिवार के सदस्यों में लक्षण विहीन बच्चों की पहचान आमतौर पर स्क्रीनिंग के द्वारा की जाती है। 
    - लक्षणों की निगरानी और लक्षणों की गंभीरता के मुताबिक उपचार की आवश्यकता होती है।

    रोग के हल्के लक्षण वाले बच्चों को गले में खराश, नाक बहना, खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी हो सकते हैं।
    - उन्हें किसी जांच की जरुरत नहीं है।

    इन बच्चों को होम आइसोलेशन और रोग के लक्षण के मुताबिक घर पर उपचार दिया जा सकता है। 

    जन्मजात हृदय रोग, फेफड़ों का पुराना रोग, कोई अंग विफन होने, मोटापा समेत पहले से बीममार बच्चों को भी घर पर प्रबंधित किया जा सकता है। 

  • 6:54 AM (IST) Posted by Sonam Kanojia

    कोरोना के हल्के लक्षण की स्थिति में होम आइसोलेशन के दौरान देखिए इन बातों का रखें ध्यान:

    बुखार के लिए: पैरासिटामॉल 10-15 एमजी/किलो/डोज; हर 4-6 घंटे में दिया जा सकता है। 

    कफ के लिए : बड़े व किशोर बच्चों को गले में आराम हेतु गर्म पानी से गरारे की सलाह।

    तरल पदार्थ और खानपान: हाइड्रेशन और पोषण के लिए तरल पदार्थों का पर्याप्त सेवन।

    एंटीबायोटिक: कोई नहीं।

    टोसिलिजुमैब, इन्टरफेरोन B14, प्लाज्मा या डेक्सामेथासोन समेत हाइड्रॉक्साक्लोरोक्विन, फेविपिरविर, आइवरमेक्टिन, लोपिनविर/रिटोनविर, रेमिडेसिवियर, यूमिफेनोविर, इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स की कोई जरुरत नहीं।

    दिन में 2-3 बार श्वसन दर जांच, सीने में समस्या, शरीर का नीलापन, अत्यधिक ठंड लगना, मूत्र की मात्रा, ऑक्सीजन सैचुरेशन, तरल पदार्थ का सेवन, गतिविधि विशेषकर छोटे बच्चों में, आदि की निगरानी कर चार्ट बनाएं।

    किसी भी आपात स्थिति में अभिभावक/देखभाल करने वालों को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।