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विशाखापट्टनम गैस लीक: जहरीली गैस लीक हो जाए तो इन सावधानियों को बरतने से बचेगी जान

गैस लीक की यह घटना विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम में स्थित एलजी पॉलिमर्स में हुई। जानें क्या है ये गैस और गैस लीक होने पर क्या करना चाहिए ताकि जान बची रहे।

विशाखापट्टनम गैस लीक- India TV Hindi Image Source : PTI विशाखापट्टनम  गैस लीक

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के आर.आर. वेंकटपुरम गांव में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी के पॉलिमर प्लांट में रासायनिक गैस स्टाइरीन लीक होने से 7 लोगों की मौत हो गई है। इतना ही नहीं इस गांव और आसपास के इलाकों के हजारों लोगों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है। एहतियात के तौर पर गांवों का खाली कराया जा रहा है। जानिए आखिर स्टाइरीन गैस क्या है। इसके साथ ही जानिए कि गैस रिसाव के वक्त क्या सावधानी बरतें। 

क्या है स्टाइरीन गैस?
स्टाइरीन गैस को एथेनिलबेनज़ीन, विनालेनबेन्ज़िन और फेनिलिथीन के रूप में भी जाना जाता है। इसका रासायनिक सूत्र C6H5CH= CH2 के साथ एक कार्बनिक यौगिक है। बेंजीन का यह व्युत्पन्न एक रंगहीन तैलीय तरल है। हालांकि इसके वृद्ध नमूने पीले दिखाई दे सकते हैं। यह यौगिक आसानी से वाष्पित हो जाता है। इसके अलावा इसकी गंध की बात करें तो वह मीठी होती है। हालांकि उच्च सांद्रता में कम सुखद गंध होती है। आम तौर पर इस गैस का इस्तेमास प्लास्टिक, पेंट टायर आदि बनाने में किया जाता है। 

स्टाइरीन गैस कितनी खतरनाक

  • गैस रिसाव के कारण गांव और आसपास के इलाकों के हजारों लोगों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। 
  • इस गैस को सूंघने या निगलने से नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है।।
  • फेफड़ों पर पड़ता है बुरा असर
  • सिर दर्द
  • कमजोरी की शिकायत
  • अमेरिकी नेशनल टॉक्सीलॉजी प्रोग्राम के अनुसार इस गैस के कराण कैंसर भी हो सकता है। हालांकि इस बात को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद की स्थिति है।

 

बरतें ये सावधानियां

  • अगर जहरीली गैस लीक होने लगे तो सबसे पहले धैर्य बरतें। इधर उधर शोर मचाकर भागने की बजाय सांस धीरे धीरे लें। ध्यान रखें शोर मचाएंगे तो गैस आपके फेफड़ों में जल्दी भरेगी। 
  • कोशिश करें कि खड़े न रहें, गैस सरफेस की बजाय ऊंचाई पर बनी रहती है, ऐसे में अगर शुरूआती चरण में आप नीचे रहेंगे तो गैस आपके संपर्क में नहीं आएगी, आप बैठे बैठे ही या घुटनों के बल चलकर ही बाहर निकलने का सुरक्षित स्थान खोजने की कोशिश करें।
  • भागने दौड़ने से बचें, ऐसे में आप हांफने लगेंगे तो भी गैस आपके शरीर में तेजी से प्रवेश करेगी।
  • सबसे पहले मुंह पर गीला कपड़ा रख लें औऱ उसी के जरिए सांस लें। इससे गैस के जहरीले पार्टिकल पानी भरे कपड़े में ही फंस जाएंगे। 
  • अगर किसी को गैस चढ़ गई है तो उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाकर लंबी लंबी सांस दिलवाएं ताकि गैस फेफड़ो से बाहर निकल जाए। 
  • आपातकालीन स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन देनी चाहिए।

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