नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने एक अभूतपूर्व निर्णय के तहत तीन महिला न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की है और अगर इसे मंजूरी दी जाती है तो न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना 10 फरवरी 2027 को भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बन सकती हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को नौ नामों की सिफारिश की है।
26 जनवरी 1950 को गठित सुप्रीम कोर्ट में अब तक काफी कम संख्या में महिला न्यायाधीश नियुक्त हुई हैं और पिछले 71 वर्षों में केवल आठ महिला न्यायाधीश की नियुक्ति हुई है। सबसे पहले एम. फातिमा बीबी 1989 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनी थीं। वर्तमान में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी एकमात्र महिला न्यायाधीश हैं जो सुप्रीम कोर्ट में सेवारत हैं। वह सात अगस्त 2018 को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से पदोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट आई थीं।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना के अलावा गुजरात हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली के नाम की भी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है। पांच सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव भी शामिल हैं।
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