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BLOG: पाकिस्तान पर भारत का राजनयिक दबाव

चीन में संपन्न BRICS सम्मेलन में जारी संयुक्त घोषणा-पत्र में पाकिस्तान की धरती से संचालित होनेवाले तमाम आतंकी समूहों का नाम शामिल किए जाने से विश्व पटल पर पाकिस्तान की छवि को एक और झटका लगा है।

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चीन के जियामेन में हाल में संपन्न ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन के दौरान जारी संयुक्त घोषणा-पत्र में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान समेत पाकिस्तान की धरती से संचालित होनेवाले तमाम आतंकी समूहों का नाम शामिल किए जाने से विश्व पटल पर पाकिस्तान की छवि को एक और झटका लगा है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि उरी हमले के तुरंत बाद अमृतसर में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में जारी घोषणा-पत्र में इसी तरह के आतंकवादी समूहों का जिक्र एक समान पैराग्राफ में किया गया था। उस घोषणा-पत्र के हस्ताक्षरकर्ता में पाकिस्तान भी शामिल था। अगर कोई इन दोनों घोषणा पत्रों की तुलना करे तो आतंकवाद से जुड़े पैराग्राफ करीब-करीब समान हैं। फिर भी, पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के नेता इस बात को लेकर काफी परेशान हैं कि हमेशा से उनका करीबी दोस्त रहा चीन आतंकवाद के मुद्दे पर अपने विश्वसनीय पड़ोसी का समर्थन नहीं कर रहा है।

केवल आतंकी संगठन ही नहीं बल्कि पाकिस्तान का अधिकांश मीडिया देश की छवि पर लगे दाग को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर करने लगा है। पाकिस्तान की आवाम और वहां की मीडिया का परेशान होना वाजिब भी है। याद कीजिए कि तीन हफ्ते पहले तक जब डोकलाम में भारत और चीन की फौज आमने-सामने थी और दोनों देशों की सेनाओं के बीच धक्कामुक्की हो रही थी। तब कहा जा रहा था कि मोदी ने शी जिंगपिंग की खूब खातिरदारी की थी, झूला झुलाया था, क्या हुआ, पहले जिंगपिंग ने मसूद अजहर के मामले में टांग अड़ाई और अब डोकलाम में पंगा कर रहा है। तब पाकिस्तान के लोग चीन का गाना गा रहे थे और चीन से भारत को सबक सिखाने की उम्मीद पाले हुए थे। वहीं पाकिस्तान के लोगों का मानना था कि पीएम मोदी की विदेश नीति फेल हो गई है। लेकिन सिर्फ चौबीस घंटे में माहौल बदल गया। हकीकत यह है कि मोदी हो या शी जिंगपिंग सबको अपने अपने मुल्क की चिंता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने महसूस किया कि यह 1962 का भारत नहीं है। वक्त बदल गया है, जमाना बदल गया है। अगर तरक्की करनी है तो मिलकर चलना होगा। 

चीन की लीडरशिप ने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि अगर वह विश्व अर्थवयवस्था में अपना दबदबा बनाना चाहता है तो उसके लिए भारत का सहयोग जरूरी है। दहशतगर्द अगर भारत के लिए खतरा हैं तो चीन के लिए भी कोई देवदूत नहीं हैं। इसीलिए अब शीं जिंगपिंग ने भी पंचशील सिद्धांत की बात की। लेकिन चीन के मामले में भारत को सतर्क रहना पड़ेगा, क्योंकि चाइनीज माल बहुत रिलाएबिल नहीं होता और ड्यूरेबिल भी नहीं होता। एक तरफ तो चीन पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के खिलाफ संयुक्त घोषणा-पत्र जारी कर रहा है वहीं दूसरी तरफ अजहर मसूद को आतंकी मानने से इनकार कर दिया। (रजत शर्मा)

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