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Hindi News भारत राष्ट्रीय मणिपुर सरकार ने म्यांमार से आ रहे शरणार्थियों को रोकने के आदेश को वापस लिया

मणिपुर सरकार ने म्यांमार से आ रहे शरणार्थियों को रोकने के आदेश को वापस लिया

मणिपुर सरकार ने म्यांमार की सीमा से सटे जिलों के उपायुक्तों को तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश से भाग कर आ रहे शरणार्थियों को भोजन एवं आश्रय मुहैया कराने के लिए शिविर न लगाने का आदेश दिया था।

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से मिजोरम में 1,000 से अधिक नागरिक शरण ले चुके हैं।- India TV Hindi Image Source : AP/PTI Manipur, Manipur Myanmar, Manipur Myanmar refugees, Myanmar refugees, Myanmar

इम्फाल: मणिपुर सरकार ने म्यांमार की सीमा से सटे जिलों के उपायुक्तों को तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश से भाग कर आ रहे शरणार्थियों को भोजन एवं आश्रय मुहैया कराने के लिए शिविर न लगाने का आदेश दिया लेकिन जन आक्रोश की आशंका से बचने के लिए 3 दिन बाद इसे वापस ले लिया। चंदेल, तेंगुपाल, कम्जोंग, उखरुल और चूड़ाचांदपुर के उपायुक्तों को 26 मार्च को जारी परामर्श में विशेष सचिव (गृह) एच. ज्ञान प्रकाश ने उन्हें आधार पंजीकरण रोकने के लिए भी कहा है। इसमें कहा गया है कि पड़ोसी देश म्यांमार में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर ऐसी खबर है कि वहां के नागरिक मणिपुर समेत सीमावर्ती राज्यों के जरिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

परिपत्र में कहा गया है, ‘जिला प्रशासन भोजन एवं आश्रय मुहैया कराने के लिए कोई भी शिविर न खोलें। नागरिक संस्थाओं को भी आश्रय/भोजन मुहैया कराने के लिए कोई शिविर खोलने की अनुमति नहीं है।’ उपायुक्तों को भारत में घुसने की कोशिश करने वाले लोगों को ‘शांति से लौटाने’ की सलाह देते हुए विशेष सचिव ने लिखा कि गंभीर चोटें लगने की स्थिति में मानवीय आधार पर इलाज दिया जाए। म्यांमार से आ रहे शरणार्थियों के प्रवेश को रोकने की कोशिशों के खिलाफ पड़ोसी मिजोरम में बढ़ रहे जन आक्रोश के बाद अधिकारी ने सोमवार को एक अन्य परामर्श जारी करते हुए कहा कि पिछले पत्र में उल्लेखित सामग्री ‘गलत’ थी।

नए परामर्श में कहा गया है, ‘ऐसा लगता है कि पत्र की बातों को गलत तरीके से समझा गया। राज्य सरकार सभी मानवीय कदम उठा रही है जिसमें शरणार्थियों को इम्फाल ले जाना, घायलों का इलाज कराना शामिल है। राज्य सरकार हरसंभव मदद मुहैया कराती रहेगी। मुझे सरकार का यह फैसला बताने के निर्देश दिए गए हैं कि उसने 26 मार्च को लिखे पत्र को वापस लेने का फैसला किया है।’ मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे शरणार्थियों को पनाह देते का अनुरोध किया था और कहा था कि म्यांमार में ‘बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही’ हो रही है और सेना निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रही है।

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से मिजोरम में 1,000 से अधिक नागरिक शरण ले चुके हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पड़ोसी देश से अवैध प्रवास को रोकने के 10 मार्च के दिशा-निर्देशों के बाद केंद्र से कोई आदेश नहीं मिला है।

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