मेजर जनरल के.एस. बराड़ का कहना था कि उनकी जानकारी के मुताबिक कुछ ही दिनों में ख़ालिस्तान की घोषणा होना जा रही थी और उसे रोकने के लिए ऑपरेशन को जल्द से जल्द अंजाम देना बेहद ज़रूरी हो गया था।
1 जून 1984 को अर्द्धसैनिक बलों ने श्री हरमिंदर साहिब परिसर के आसपास घेराबंदी करके ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरु किया था। इस कार्रवाई में कई आतंकवादी मारे गए। कार्रवाई अगले दिन भी जारी रही।
3 जून को पूरे पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया और ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत कार्रवाई शुरू हो गई। प्रदेश में रेल, सड़क और वायु यातायात रोक दिया गया और दरबार साहिब परिसर की फोन-वाटर सप्लाई लाइनें काट दी गईं। उसी रात सैन्य कार्रवाई फिर शुरू हुई और इस बार घेराबंदी की गई थी हरमिंदर साहब की जहां जरनैल सिंह भिंडरांवाला सहित उनके साथी जनरल सुबेग सिंह और अमरीक सिंह अपने समर्थकों के साथ छुपे हुए थे और सैनिक कार्रवाई के जवाब में गोलीबारी कर रहे थे।
इस दौरान शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोंगोवाल, जत्थेदार गुरचरण सिंह तोहड़ा, बलवंत सिंह रामूवालिया, भान सिंह, अबिनाशी सिंह आदि सिख नेता परिसर स्थित एसजीपीसी कार्यालय में उपस्थित थे।
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