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Hindi News भारत राष्ट्रीय श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर: त्रावणकोर के राजकुमार आदित्य वर्मा और महारानी गौरी पार्वती की SC के फैसले पर प्रतिक्रिया

श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर: त्रावणकोर के राजकुमार आदित्य वर्मा और महारानी गौरी पार्वती की SC के फैसले पर प्रतिक्रिया

इस फैसले पर त्रावणकोर की महारानी गौरी पार्वती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पद्मनाथ स्वामी की कृपा है।

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केरल के 5000 साल पुराने ऐतिहासिक भगवान विष्‍णु के मंदिर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर पर त्रावणकोर के शाही परिवार के अधिकार को बरकरार रखा है। इस फैसले पर त्रावणकोर की महारानी गौरी पार्वती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पद्मनाथ स्वामी की कृपा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मंदिर से जुड़े रीति-रिवाजों में शाही परिवार का अधिकार पूर्ववत बना रहेगा लेकिन मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता अब तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे। यह भी पढ़ें: केरल के श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर पर त्रावणकोर शाही परिवार का अधिकार रहेगा बरकरार, खजाने का 7वां दरवाजा है रहस्‍मय

 

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए महारानी गौरी पार्वती ने कहा कि

हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पद्मनाभ स्वामी की परिवार पर कृपा के तौर पर ही नहीं, बल्कि उनको पूजने वालों पर भी कृपा के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस फैसले का सम्मान करते हैं और उन सभी का धन्यवाद करते हैं जो इन कठिन वर्षों में हमारे साथ खड़े रहे। 

इस मौके पर त्रावणकोर के राजकुमार आदित्य वर्मा ने कहा कि

हमारा पूरा परिवार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता है और यह फैसला एक बार फिर हमारे परिवार के साथ भगवान श्री पद्मनाभं के रिश्ते को स्थापित करता है। 

मंदिर पर त्रावणकोर के शाही परिवार का अधिकार 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मंदिर से जुड़े रीति-रिवाजों में शाही परिवार का अधिकार पूर्ववत बना रहेगा लेकिन मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता अब तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट द्वारा 31 जनवरी 2011 को दिए गए उस आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन और संपत्ति पर नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था। उल्‍लेखनीय है कि यह मंदिर देश के सबसे अधिक संपत्ति वाले मंदिरों में से एक है।
 Image Source : Travancore Royal Family Facebook pagePadmanabha Swamy Temple 

सबसे धनी है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर 

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है। इस भव्य मंदिर का मौजूदा स्‍वरूप में पुनर्निर्माण 18वीं सदी में त्रावणकोर शाही परिवार ने करवाया था। त्रावणकोर शाही परिवार 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन करता था। 

Image Source : File photoPadmanabha Swamy Temple 

अबतक नहीं खुला है मंदिर का सातवां दरवाजा

ऐसा माना जाता है कि मंदिर के गुप्त तहखानों में इतना खजाना छिपा हुआ है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। ऐसे ही छह तहखानों के छह दरवाजे खोले जा चुके हैं लेकिन सातवां दरवाजा अब भी बंद है। इतिहासकार डा. एल.ए. रवि वर्मा के मुताबिक मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया। इसके बाद पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया। शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख करता आया है।

Image Source : Travancore Royal Family Facebook pagePadmanabha Swamy Temple 

1 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति का चल चुका है पता

विष्णु को समर्पित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राजाओं ने यहां अथाह संपत्ति छिपाकर रखी है। मंदिर में 7 गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने से जुड़ा हुआ एक दरवाजा है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक के बाद एक छह तहखाने खोले गए।  यहां से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण, हथियार और अन्‍य संपत्ति मिल चुकी है,  जो मंदिर ट्रस्ट के पास जमा कराई गई है। लेकिन आखिरी और सातवें दरवाजे के पास पहुंचने पर दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखी। इसके साथ ही दरवाजा खोलने की कोशिश रोक दी गई। माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं।

Image Source : googlePadmanabha Swamy Temple 

किताब में रहस्य का जिक्र

इतिहासकार और सैलानी एमिली हैच ने अपनी किताब त्रावणकोर: ए गाइड बुक फॉर दि विजिटर्स में इस मंदिर के दरवाजे से जुड़ा संस्मरण लिखा है। वे लिखती हैं कि साल 1931 में इसके दरवाजे को खोलने की कोशिश की जा रही थी तो हजारों नागों ने मंदिर के तहखाने को घेर लिया। इससे पहले साल 1908 में भी ऐसा हो चुका है।

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