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Rajat Sharma's Blog: शरद पवार ने शिवसेना को अधर में क्यों लटका रखा है?

शरद पवार सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और महाराष्ट्र की राजनीति को उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। शिवसेना आज जिस मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ कर रही है, उसे शरद पवार ने 41 साल पहले 1978 में महज 38 साल की उम्र में हासिल किया था।

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुप्रीमो शरद पवार ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की और दोनों के बीच करीब 50 मिनट तक बातचीत हुई। इस मुलाकात के बाद जब शरद पवार मीडिया के सामने आए तो उन्होंने यह कहकर लोगों को आश्चर्य में डाल दिया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने या शिवसेना के साथ गठबंधन के मुद्दे पर सोनिया गांधी से उनकी कोई चर्चा नहीं हुई। 

बाद में शिवसेना नेता संजय राउत को शरद पवार ने अपने घर पर बुलाया और दोनों के बीच बंद कमरे में चर्चा हुई। ऐसे संकेत हैं कि सरकार गठन को लेकर बातचीत आगे बढ़ रही है और बेहद सतर्कता बरती जा रही है। पवार ने कहा कि वह अन्य छोटे सहयोगियों जैसे किसान और वर्कर्स पार्टी, शतकरी संगठन और समाजवादी पार्टी के साथ मौजूदा राजनीतिक हालात पर बात करेंगे। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जो हालात हैं उसमें अगर नया कुछ है, तो बस यही है।

शरद पवार सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और महाराष्ट्र की राजनीति को उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। शिवसेना आज जिस मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ कर रही है, उसे शरद पवार ने 41 साल पहले 1978 में महज 38 साल की उम्र में हासिल किया था। पवार उस समय भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। इसलिए शरद पवार को सब पता है कि किसके साथ क्या बात करनी है और कब किससे क्या कहना है। वे हमेशा 10 कदम आगे की सोचते हैं।

ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद शरद पवार ने जिस तरह की टिप्पणियां की उस पर एक नजर डालना जरूरी हो जाता है। पवार ने पहले कहा कि बीजेपी और शिवसेना को सरकार बनानी चाहिए, एनसीपी-कांग्रेस विपक्ष में बैठेंगे। इसके बाद उन्होंने कहा कि शिवसेना जब तक एनडीए में है तब तक बात नहीं हो सकती। बातचीत के लिए शिवसेना को एनडीए छोड़ना होगा। लिहाजा शिवसेना ने एनडीए छोड़ दिया। अब तीन दिन पहले पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में जल्द ही गठबंधन की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। हालांकि एनसीपी के नेता शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाने की बात कहते हैं, लेकिन पवार ने कभी अपने बयान में शिवसेना का नाम नहीं लिया।  

सोमवार को शरद पवार ने अपने बयान से साफ तौर पर यह संकेत दिया कि महाराष्ट्र में जो भी गठबंधन की सरकार बनेगी वह एनसीपी की मर्जी से ही बनेगी। शरद पवार ने ऐसा खेल खेला है कि अब शिवसेना के हाथ में कुछ नहीं रहा। सब कुछ उसके हाथ से निकल चुका है। कांग्रेस को मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है इसलिए वो शरद पवार की सलाह लेकर उनके बताए रास्ते पर चल रही है। वहीं पवार ने बीजेपी की उम्मीद भी जगाए रखी है, जिससे शिवसेना के नेता खासे परेशान हैं। (रजत शर्मा)

देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ , 18 नवंबर 2019 का पूरा एपिसोड

 

 

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