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Hindi News भारत राष्ट्रीय 2020 में गलवान घाटी हिंसा के 3 साल बाद भारत-चीन में हुई ये बड़ी डील, जानें 21वें दौर की सैन्य वार्ता में क्या रहा खास?

2020 में गलवान घाटी हिंसा के 3 साल बाद भारत-चीन में हुई ये बड़ी डील, जानें 21वें दौर की सैन्य वार्ता में क्या रहा खास?

भारत-चीन के बीच वास्तवि नियंत्रण रेखा पर 3 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे जबरदस्त तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 21वें दौर की सैन्य वार्ता में भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रखने के लिए सहमत हुई हैं। हालांकि विवादित क्षेत्रों का अब भी कोई हल नहीं निकल सका है।

गलवान घाटी (फाइल)- India TV Hindi Image Source : AP गलवान घाटी (फाइल)

नई दिल्लीः वर्ष 2020 में गलवान घाटी हिंसा के 3 वर्ष बाद भारत और चीन के बीच 21वें दौर की सैन्य वार्ता से जुड़ी बड़ी खबर इस वक्त सामने आ रही है। बता दें कि पिछले 3 वर्षों से अधिक समय से भारत और चीन के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। सीमा पर शांति कायम रखने के अब तक के सारे प्रयास विफल साबित हुए हैं। मगर भारत और चीन ने इस सप्ताह की शुरुआत में नये दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘‘शांति और सद्भाव’’ को बनाए रखने पर सहमति जताई है।

इस मामले के जानकारों का कहना है कि संघर्ष वाले क्षेत्रों में समाधान के लिए साढ़े तीन साल से चल रही कवायद पर सोमवार को हुई वार्ता में कोई स्पष्ट प्रगति नहीं देखी गई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 21वें दौर की बैठक 19 फरवरी को चुशुल-मोल्डो सीमा पर स्थित एक स्थल पर हुई। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘ वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास के बाकी क्षेत्रों से सैनिकों की पूर्ण वापसी को सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सद्भाव की बहाली के लिए जरूरी बताया गया।

भारत-चीन में बनी ये सहमति

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई बातचीत में दोनों पक्षों ने इस मामले पर अपने दृष्टिकोण साझा किए। बयान में कहा गया, ‘‘ दोनों पक्ष प्रासंगिक सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए संवाद बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। बता दें कि वर्ष 2020 में गलवान घाटी हिंसा में भारत और चीन के सैनिकों की भिड़ंत हो गई थी। इसमें करीब 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। (भाषा)

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