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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog : पेट्रोल, डीजल पर VAT घटाने की मोदी की अपील गैर-भाजपा शासित राज्यों को क्यों पसंद नहीं आई ?

Rajat Sharma’s Blog : पेट्रोल, डीजल पर VAT घटाने की मोदी की अपील गैर-भाजपा शासित राज्यों को क्यों पसंद नहीं आई ?

नवंबर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने लगीं तो प्रधानमंत्री मोदी ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की और राज्य सरकारों से वैट कम करने की अपील की।

India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर वैट (VAT) की दरें कम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस कदम से महंगाई पर अंकुश लग सकता है और आम आदमी को राहत मिल सकती है। 

कोरोना महामारी की नई लहर के मद्देनजर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने यह बात कही। मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि पिछले साल नवंबर में केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाते हुए सभी राज्यों से आग्रह किया था कि वे वैट (VAT) की दरें कम करें। मोदी ने कहा, केवल बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम किया लेकिन तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट कम नहीं किया। 

केंद्र और राज्यों के बीच को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा, 'पिछले नवंबर महीने में देशवासियों पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत का बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी । केंद्र सरकार ने राज्यों से भी आग्रह किया था कि वो अपने यहां टैक्स (VAT) कम करें और ये लाभ नागरिकों को ट्रांसफर करें। इसके बाद कुछ राज्यों ने तो भारत सरकार की इस भावना के अनुरूप यहां टैक्स कम कर दिया लेकिन कुछ राज्यों द्वारा अपने राज्य के लोगों को इसका कोई लाभ नहीं दिया गया । इस वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें इन राज्यों में अब भी दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं । ये एक तरह से इन राज्यों के लोगों के साथ अन्याय तो है ही, साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान पहुंचाता है ।

स्वाभाविक है कि जो राज्य टैक्स में कटौती करते हैं, उन्हें राजस्व की हानि होती है । जैसे अगर कर्नाटक ने टैक्स में कटौती नहीं की होती तो उसे इन छह महीनों में 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व और मिलता । इसी तरह अगर गुजरात ने भी टैक्स कम नहीं किया होता तो उसे भी साढ़े तीन-चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व और मिलता । लेकिन ऐसे कुछ राज्यों ने अपने नागरिकों की भलाई के लिए, अपने नागरिकों को तकलीफ न हो इसलिए अपने टैक्स (VAT) में कमी की, पॉजिटिव कदम उठाए । वहीं गुजरात और कर्नाटक के पड़ोसी राज्यों ने टैक्स में कमी ना करके इन छह महीनों में साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से लेकर के पांच-साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त राजस्व कमा लिया । 

पीएम मोदी ने कहा- 'मैं यहां किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं, मैं आपसे सिर्फ प्रार्थना कर रहा हूं। आपके राज्य के नागरिकों की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। अब कई राज्य जैसे महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, झारखंड ने किसी कारण से इस बात को नहीं माना और उनके राज्य के नागरिकों पर बोझ बना रहा... छह महीने की देर हो चुकी है और एक बार फिर आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप वैट कम करके अपने राज्य के नागरिकों को इसका लाभ पहुंचाइए। आप सब जानते हैं कि भारत सरकार के पास जो रेवेन्यू आता है, उसका 42 प्रतिशत तो राज्यों के ही पास चला जाता है।

'मेरा सभी राज्यों से आग्रह है कि वैश्विक संकट के इस समय में कॉपरेटिव फेडरलिज्म की भावना पर चलते हुए एक टीम के रूप में हम सब मिलके काम करें। चेन्नई में, तमिलनाडु में पेट्रोल करीब 111 रुपये प्रतिलीटर के करीब है। जयपुर में 118 रु. से भी ज्यादा है। हैदराबाद में 119 रु. से ज्यादा है। कोलकाता में 115 रु. से ज्यादा है। मुंबई में 120 रु. प्रति लीटर से ज्यादा है और जिन्होंने कटौती की, मुंबई के ही बगल में दीव और दमन में 102 रु. प्रति लीटर है। मुंबई में 120, बगल में दीव दमन में 102 रुपया। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि छह महीने में भले जो कुछ भी आपका रेवेन्यू बढ़ा वह आपके राज्य के काम आएगा लेकिन अब पूरे देश में आप सहयोग कीजिए। यह आपसे मेरी विशेष प्रार्थना है।' 

यह एक सच्चाई है कि पूरे भारत में आम लोगों को पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ी कीमतों के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों का असर रोजमर्रा इस्तेमाल किए जानेवाले उत्पादों पर भी पड़ रहा है। विश्व स्तर पर क्रूड ऑयल ( कच्चे तेल) की कीमतों में तेजी का कोई अंत नहीं नजर आ रहा है। मोदी के भाषण का सार यही था कि गैर-बीजेपी वाली राज्य सरकारों को अपने यहां पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतें कम करनी चाहिए और इसका लाभ आम जनता को देना चाहिए । ऐसे समय में जब विपक्ष के नेता महंगाई को लेकर चीख-पुकार मचा रहे हैं, जिन राज्यों में उनकी सरकारें हैं कम से कम वहां पेट्रोल-डीजल पर वैट की दरें कम करने की उम्मीद की जा रही है ताकि महंगाई पर लगाम लगाई जा सके। 

अगर सिर्फ इसी साल की बात करें तो जनवरी 2022 से अब तक कच्चे तेल की कीमत में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। भारत की तरह जो भी देश अपनी तेल की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर हैं उन देशों में सिर्फ टर्की ही ऐसा देश है जहां पेट्रोल का होलसेल प्राइस (थोक मूल्य) भारत से कम है। जिन देशों की अर्थव्यवस्था आयातित ईंधन निर्भर हैं उनमें नीदरलैंड में पेट्रोल की कीमत करीब 193 रुपये प्रति लीटर, जर्मनी में 171, फ्रांस में 145 औऱ दक्षिण कोरिया में 126 रुपये प्रति लीटर है। जबकि भारत में पेट्रोल करीब 104 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है औऱ टर्की में इसकी कीमत 98 रु. प्रति लीटर है। 

यह बात सही है कि 10 मार्च को जब यूपी, उत्तराखंड, पंजाब विधानसभा चुनाव खत्म हुए उसके बाद से अब तक पिछले 45 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ गई है। हालांकि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था उस वक्त तो यह कहा जा रहा था कि तेल के दाम 150 रुपये प्रति लीटर तक जा सकते हैं। लेकिन सरकार की कोशिशों और रूस से सस्ता तेल आयात करने से फिलहाल हालात उतने खराब नहीं हुए हैं। हकीकत यह है कि भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करता है इसलिए दुनिया में जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो उसका असर हमारे यहां भी होता है। अप्रैल 2021 में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) 53.4 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था जो इस साल मार्च में बढ़कर 112.87 डॉलर प्रति बैरल हो गया। यानी एक साल में इसमें करीब 78 प्रतिशत का इज़ाफा हो गया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार आम लोगों को ईंधन की कीमतों में राहत देने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन राज्य सरकारों का भी कर्तव्य है कि वह केंद्र के साथ खड़ी रहे ।

और अब एक नजर इस बात पर डालते हैं कि गैर-बीजेपी सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट कम न करके कितना अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया। इस राज्यों में सबसे ज्यादा मुनाफा महाराष्ट्र ने कमाया। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल मार्च तक महाराष्ट्र को 3,485 करोड़ रुपये की इनकम हुई। जबकि तमिलनाडु को 2400 करोड़, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश को करीब डेढ़-डेढ़ हज़ार करोड़, केरल को 1100 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को करीब 1200 करोड़ की कमाई हुई। इसीलिए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सात गैर-बीजेपी शासित राज्यों को कम से कम अब जनता को राहत देनी चाहिए, आम लोगों के ऊपर से मंहगाई का बोझ कम करना चाहिए। 

यहां मैं आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और बिहार में एनडीए की सरकार है लेकिन इन दोनों राज्यों ने भी पेट्रोल-डीजल पर वैट कम नहीं किया है। इसलिए अब गैर-बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें पूछ रही हैं कि केन्द्र राज्यों से अपनी आमदनी कम करने को तो कह रहा है लेकिन केन्द्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से जो रेवेन्यू कमाया वो कहां गया? .मोदी ने इसका भी जवाब दिया। उनका तर्क है कि कोरोना के दौरान जो मुफ्त वैक्सीन लगाई गई और गरीबों को जो मुफ्त राशन दिया गया, यह सब उसी पैसे से हो रहा है। प्रधानमंत्री अन्न योजना (मुफ्त खाद्यान्न योजना) को सितंबर 2022 तक बढ़ाया गया है जिससे केंद्र सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि महंगे तेल की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डालना गलत है । उद्धव ठाकरे का कहना है कि महाराष्ट्र में पेट्रोल-डीजल पर वैट केन्द्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी से कम है। उद्धव सरकार में कैबिनेट मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि केंद्र सरकार महाराष्ट्र के हक का 26 हज़ार करोड़ रुपये दबाकर बैठी है। उन्होंने कहा-'मोदी पहले महाराष्ट्र का बकाया अदा करें, उसके बाद सलाह दें।' 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री दफ्तर की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि मुंबई में एक लीटर डीजल पर केंद्र सरकार 24 रुपये और राज्य सरकार 22 रुपये टैक्स लेती है। इसी तरह मुंबई में एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र सरकार 31 रुपये एक्साइज ड्यूटी लेती है जबकि महाराष्ट्र सरकार 32 रुपये वैट लेती है। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी को इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए क्योंकि पीएम का यह रवैया देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जीएसटी का ज्यादातर हिस्सा केन्द्र सरकार के पास जाता है। ममता ने मांग की है कि जीएसटी में राज्यों की हिस्सेदारी आधी होनी चाहिए। ममता बनर्जी ने कहा- 'आज की मीटिंग में प्रधानमंत्री ने एकतरफा बातें कीं जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार राज्यों को पैसा नहीं दे रही है।'

वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 28 लाख करोड़ कमाए जबकि ममता बनर्जी कह रही हैं कि 17 लाख करोड़ की कमाई हुई। अब किसकी बात सच है यह कोई नहीं जानता। क्योंकि न कांग्रेस के प्रवक्ता ने यह बताया कि उन्होंने जो आंकड़ा दिया उसका आधार क्या है और न ममता ने बताया कि उन्हें 17 लाख का आंकड़ा कहां से मिला। झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बिल्कुल अलग बात की। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार को पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों में अंतर से इतनी ही दिक्कत है तो वो इन सबको जीएसटी में ले आएं। 

पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। बीजेपी, कांग्रेस, ममता बनर्जी सभी पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करना चाहते हैं। लेकिन जब टैक्स कम करने की बात आती है तो सब एक-दूसरे की तरफ देखने लगते हैं, एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं। जबकि हकीकत यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल मंहगा हुआ है। चूंकि हम अपनी जरूरतों का 80 प्रतिशत क्रूड ऑयल आयात करते हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर पड़ना स्वभाविक है। पेट्रोल-डीजल मंहगा होता है तो इसका सीधा असर खाने-पीने की चीजों पर पड़ता है । रोजमर्रा की चीजें मंहगी हो जाती हैं और वही हो रहा है। 

अब सवाल यह है कि फिर जनता क्या करे ? कहां जाए और किससे कहे ? पेट्रोल-डीजल पर दो तरह के टैक्स लगते हैं। एक टैक्स केंद्र सरकार का लगता है तो दूसरा राज्य सरकार का। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है और राज्य वैट के जरिए टैक्स वसूलती है। जब दोनों अपने-अपने टैक्स कम करेंगे तभी कीमतें कम होंगी। इसलिए नवंबर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने लगीं तो प्रधानमंत्री मोदी ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की और राज्य सरकारों से वैट कम करने की अपील की। ज्यादातर बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम कर दिया लेकिन गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने ऐसा नहीं किया। इसीलिए लखनऊ में पेट्रोल 105 रूपए प्रति लीटर है तो मुंबई में यह120 रूपए प्रति लीटर है। 

अब इस अंतर को कम करना के लिए एक ही रास्ता है कि राज्य सरकारें वैट कम करें। अगर पूरे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक जैसी ही करनी है और इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म करना है तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना होगा। 

 अब ममता बनर्जी हों या उद्धव ठाकरे, इनकी सरकार न तो पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करना चाहती हैं और न ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का समर्थन करती हैं। दिक्कत यही है। इसलिए अगर इस समस्या से निजात पानी है और जनता को थोड़ी राहत देनी है तो मोदी की सलाह माननी चाहिए। गैर-बीजेपी शासित राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करना चाहिए। केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। सिर्फ मोदी का विरोध करने से बात नहीं बनेगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 अप्रैल, 2022 का पूरा एपिसोड

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