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कांग्रेस सांसद ने पूछा- सरकार OBC जनगणना क्यों नहीं कर रही, मुंडे ने भी उठाई थी इसकी मांग

राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने शुक्रवार को अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) की जनगणना में हो रही देरी का मुद्दा उठाया और सरकार पर यह कहते हुए तंज कसा कि वह यदि जानवरों और पेड़ों की भी गणना करा सकती है तो ओबीसी की क्यों नहीं?

Rajeev Satav, Rajieev Satav OBC Census, Rajeev Satav Congress OBC, Rajeev Satav OBC- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@SATAVRAJEEV कांग्रेस नेता राजीव सातव ने कहा कि लंबे समय से ओबीसी जनगणना की मांग हो रही है।

नई दिल्ली: राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने शुक्रवार को अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) की जनगणना में हो रही देरी का मुद्दा उठाया और सरकार पर यह कहते हुए तंज कसा कि वह यदि जानवरों और पेड़ों की भी गणना करा सकती है तो ओबीसी की क्यों नहीं? शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस के राजीव सातव ने सरकार से जल्द से जल्द ओबीसी जनगणना करने की मांग करने की। उन्होंने कहा कि लंबे समय से ओबीसी जनगणना की मांग हो रही है और बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने भी मजबूती से इस मांग को लोकसभा में कई बार उठाया था।

‘जानवरों की गिनती हो सकती है तो OBC की क्यों नहीं’
सातव ने कहा, ‘सरकार जब जानवरों की गणना कर सकती है, पेड़ों की गणना कर सकती है तो समाज के इस महत्वपूर्ण घटक ओबीसी की क्यों नहीं? इस बारे में सरकार ने 2018 में आश्वस्त किया था। वर्ष 2019 में भी सरकार ने कहा था कि हम जनगणना की दिशा में जा रहे हैं। अभी देखा गया कि उसमें ओबीसी का कॉलम हटा दिया गया है। ओबीसी को सही लाभ देना है तो उनकी जनगणना जरूरी है। जनगणना होगी तभी सही मायनों में पता चल पाएगा कि उन्हें सरकारी योजनाओं और नीतियों का कितना लाभ मिल रहा है और नहीं मिल रहा है। इसलिए ओबीसी की जनगणना के बारे में सरकार को तुरंत सोचना चाहिए।’

‘पिछले 3 महीने में 225 रुपये बढ़ी LPG की कीमत’
YSR कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी ने विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण का मामला उठाया और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। वहीं, बिहार से कांग्रेस के सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह ने रसोई गैस की बढ़ी कीमतों पर चिंता जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल नवंबर में रसोई गैस की कीमत 594 रुपये थी जो आज बढ़कर 809 रुपये हो गई है। पिछले 3 महीने में रसोई गैस की कीमतों में 225 रुपये की वृद्धि हुई है। कीमतों में वृद्धि से गरीब लोग इंधन के पारंपरिक स्रोतों की ओर लौट रहे हैं।’

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