ओडिशा: सोशल मीडिया पर इन दिनों हर तरफ प्रताप चंद्र सारंगी की चर्चा है। सारंगी ने इसबार के लोकसभा चुनाव में ओडिशा के बालासोर से जीत हासिल की है। इन्होंने बीजू जनता दल के रविंद्र कुमार जेना को 12 हजार 956 वोट से हाराया है। लोग उन्हें ओडिशा का मोदी कहने लगे हैं।
हम राजनीति में अमीरी पर गरीबी की इस आसाधरण जीत की पूरी कहानी समझना चाहते थे। हमने पन्ने पलटने शुरू किए तो पता चला कि एफिडेविट में प्रताप सांरगी ने अपनी संपत्ति का जो जिक्र किया है, उसके मुताबिक उनके पास 13 लाख 46 हजार 236 रूपये की संपत्ति है। जबकि बीजेडी के जिस रविंद्र जेना को इन्होंने हराया, उन्होंने अपनी संपत्ति चुनाव आयोग को बताई है 72 करोड़ 61 लाख 51 हजार 97 रूपये।
सारंगी कई सालों से समाजसेवा में लगे हैं। उन्होंने शादी भी नहीं की है। वो रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे। इसके लिए वो कई बार मठ भी गए थे। लेकिन जब मठ वालों को पता लगा कि उनके पिता नहीं है और उनकी मां अकेली हैं, तो मठ वालों ने उन्हें मां की सेवा करने को कहा। पिछले साल उनकी मां का देहांत हुआ है।
सिर्फ पैसों से चुनाव लड़ने के मिथक को गरीबी और ईमानदारी से ध्वस्त करने वाले प्रताप सारंगी ने उस दौर में जब पॉलिटिक्स को पैसे वाले अपने पॉकेट मे लेकर चलते हैं। करोड़ों खर्च कर अरबों कमाने का जरिया बन चुकी राजनीति में प्रताप सारंगी कई बरसों से सादगी के हस्ताक्षर बने हुए हैं। भगवा झंडा थामकर प्रताप सांरगी दो बार ओडिशा विधानसभा में बैठ चुके हैं। मगर न तो इनके पास अपना बड़ा सा मकान है। न गाड़ी है। न पुलिस की फोर्स है। टूटे हुए मकानों में अकेले रहने वाले प्रताप कभी साधु बनने चले थे, मगर सियासत की सादगी के साधक बनकर रह गए।
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