A
Hindi News भारत राजनीति सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल BJP नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज FIR पर लगाई रोक, ममता सरकार को बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल BJP नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज FIR पर लगाई रोक, ममता सरकार को बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज FIR पर रोक लगा दी है।

Supreme Court FIR, Kabir Shankar Bose, Kabir Shankar Bose FIR, Kabir Shankar Mamata Banerjee- India TV Hindi Image Source : FACEBOOK/PTI सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज FIR पर रोक लगा दी है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज FIR पर रोक लगा दी है। अदालत ने बोस के खिलाफ दायर उस FIR की कार्रवाई पर रोक लगा दी, जो तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी की ओर से दर्ज कराई गई थी। बोस की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उनके खिलाफ दायर आपराधिक कार्रवाई को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह कार्रवाई उनके खिलाफ निजी स्वार्थ के लिए प्रतिशोध के तौर पर की गई है। न्यायाधीश संजय किशन कौल, दिनेश माहेश्वरी और हृषिकेश रॉय की एक पीठ ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) द्वारा दायर रिपोर्ट की जांच के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भी जारी किया।

‘बंगाल सरकार और ममता बनर्जी ने बनाया निशाना’
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से बोस और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सुरक्षा कर्मचारियों के बीच कथित हाथापाई पर CISF की ओर से दर्ज रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा था। शीर्ष अदालत ने केंद्र को घटना के दिन की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने के लिए भी कहा था। बोस ने दावा किया है कि राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें विशेष रूप से पश्चिम बंगाल सरकार और बनर्जी ने निशाना बनाया है। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह राज्य में उसे उसके जीवन और स्वतंत्रता के लिए उत्पन्न खतरों से बचाए। प्रदेश में आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में बोस ने दावा किया कि राज्य सरकार उनके चुनाव प्रचार में बाधा डालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

‘पिछले साल दिसंबर में दर्ज की गई थी FIR’
बोस ने कहा कि उनके खिलाफ TMC के गुंडों से जान बचाने के लिए CISF सुरक्षा की कथित कार्रवाई के लिए IPC की विभिन्न धाराओं के तहत संतोष कुमार सिंह की शिकायत पर पिछले साल दिसंबर में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बोस ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पश्चिम बंगाल के सेरामपुर में वह और उनके साथ चल रही CISF की टुकड़ी पर उनके घर के बाहर ही रात करीब 8 बजे संतोष कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह के नेतृत्व में जबर्दस्त पथराव किया गया था। यह हमला होते ही CISF याचिकाकर्ता को तुरंत ही सुरक्षित स्थान पर ले गई और इसके बाद क्षेत्र के सांसद कल्याण बनर्जी के नेतृत्व में राज्य पुलिस के सक्रिय समर्थन से कथित तौर पर TMC के 200 से ज्यादा गुंडों ने पूरी इमारत की घेराबंदी कर रखी थी।

‘अधिकारियों ने कहा, गिरफ्तारी के लिए काफी दबाव है’
बोस ने कहा कि 7 दिसंबर को पश्चिम बंगाल पुलिस ने पूरी इमारत की घेराबंदी कर ली थी और उन्हें कानून व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए इमारत से बाहर निकलने से रोका गया। बाद में जब वह थाने गए, तो पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने के लिए बहुत दबाव है। बोस को पुलिस स्टेशन में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में न्याय के लिए बोस और 5 अन्य भाजपा नेताओं ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें सत्तारूढ़ दल के इशारे पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ निजी स्वार्थ के तहत कार्रवाई का आरोप लगाया गया। भाजपा नेताओं ने शीर्ष अदालत से सभी मामलों को एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को ट्रांसफर करने का आग्रह किया है।

Latest India News