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जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी, जानिए कैसे होता है BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव

JP Nadda: जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर सैद्धांतिक तौर पर फैसला कर लिया गया है और विभिन्न राजनीतिक समीकरणों का ध्यान रखते हुए पार्टी समय आने पर इसका ऐलान भी कर देगी।

JP Nadda- India TV Hindi Image Source : PTI JP Nadda

Highlights

  • जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो रहा है
  • नड्डा ने पार्टी की कमान 20 जनवरी 2020 को संभाली थी
  • लोकसभा चुनाव 2024 तक भाजपा अध्यक्ष बने रह सकते हैं नड्डा

JP Nadda: कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव और राजस्थान संकट को लेकर मचे घमासान के बीच अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा से एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है। पिछले महीने अगस्त में ही यह बताया था कि कई महत्वपूर्ण राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) का कार्यकाल लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया जा सकता है। अब यह बताया जा रहा है कि इसे लेकर पार्टी ने फैसला कर लिया है।

जनवरी 2023 में समाप्त हो रहा है नड्डा का कार्यकाल
मिली जानकारी के मुताबिक, जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर सैद्धांतिक तौर पर फैसला कर लिया गया है और विभिन्न राजनीतिक समीकरणों का ध्यान रखते हुए पार्टी समय आने पर इसका ऐलान भी कर देगी। आपको बता दें कि, भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो रहा है। नड्डा ने पार्टी के पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान 20 जनवरी 2020 को संभाली थी। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जुलाई 2019 में नड्डा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, इसके कुछ महीने बाद ही उन्हे तीन वर्षीय कार्यकाल के लिए सर्वसम्मति से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था।

...तो इसलिए बढ़या जाएगा नड्डा का कार्यकाल
ऐसे में तय प्रक्रिया के तहत अगले वर्ष जनवरी में पार्टी को नया अध्यक्ष मिलना था लेकिन इसके लिए चुनावी तैयारी कई महीने पहले ही शुरू करनी पड़ती है क्योंकि भाजपा संविधान के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की एक विस्तृत प्रक्रिया होती है। लेकिन महत्वपूर्ण चुनावों की वजह से भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टाल कर वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़ाने की तैयारी कर रही है। बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी के साथ बेहतर तालमेल स्थापित कर काम कर रहे हैं इसलिए फिलहाल पार्टी इस समीकरण को छेड़ना या तोड़ना नहीं चाहती है।

दरअसल, इस वर्ष के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गृह राज्य गुजरात के अलावा जेपी नड्डा के अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। अगले वर्ष यानी 2023 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक,तेलंगाना,राजस्थान, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने है। वहीं 2024 में अप्रैल-मई के महीने में लोकसभा चुनाव भी होना है। यानि पार्टी को अगले डेढ़ वर्ष तक लगातार चुनाव लड़ना है और वर्तमान व्यवस्था में सरकार एवं संगठन के बीच एक बेहतरीन तालमेल और समन्वय भी देखने को मिल रहा है। इसलिए पार्टी वर्तमान व्यवस्था में कोई बदलाव किए बिना नड्डा के अध्यक्षीय कार्यकाल को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक बढ़ाने का मन बना चुकी है।

कैसे होता है BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव
आपको बता दें कि, भाजपा के संविधान के अनुसार कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन का चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है। भाजपा के संविधान की धारा-19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। इसके मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा करने की व्यवस्था की गई है, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य शामिल होते हैं। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष वही व्यक्ति बन सकता है जो कम से कम चार अवधियों तक पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो और न्यूनतम 15 वर्ष से पार्टी का सदस्य हो। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की योग्यता रखने वाले नेता का नाम, निर्वाचक मंडल में शामिल कोई भी 20 सदस्य प्रस्तावित कर सकता है। लेकिन यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम पांच राज्यों से भी आना चाहिए, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों।

अध्यक्ष के कार्यकाल का जिक्र पार्टी के संविधान की धारा 21 में किया गया है। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति तीन-तीन साल के दो कार्यकाल तक ही भाजपा का अध्यक्ष रह सकता है। भाजपा में तीन वर्ष के लिए लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनाने का संविधान संशोधन नितिन गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए किया गया था लेकिन विवाद में फंस जाने की वजह से 2013 में गडकरी दोबारा पार्टी के अध्यक्ष नहीं बन पाए थे।

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